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लाइफ स्टाइल

चटपटे जंक फूड : जायका संग देते बीमारियां भी

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लखनऊ। इस चिलचिलाती गर्मी में शाम होते-होते शहरों की सड़कों पर हर चौराहा खाने-पीने की चीजों के ठेलों से गुलजार होने लगा है। इन पर मिलने वाले किफायती एवं चटपटे जंक फूड या फास्ट फूड के कद्रदानों में हर आयुवर्ग के लोग शामिल हैं, लेकिन ठहरिये! ये चीजें जायके से ज्यादा बीमारियां दे सकती हैं

फिजिशियन डॉ. एस.के. अग्रवाल के अनुसार, आमतौर पर नूडल्स में जिस मैदा व अरारोट का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती। इसे खाने से पेट और दिल की बीमारियां होती हैं। इसमें प्रयुक्त मैदा एवं अरारोट आंतों में चिपकता है, जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। नूडल्स के साथ परोसी जाने वाली सॉस में वसा की मात्रा अधिक होने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जिससे हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती है।

डॉ. आरसी शर्मा कहते हैं कि नूडल्स में पड़ने वाले मसाले लोगों को लती बना देते हैं। इसमें अजीनो मोटो का मिश्रण होता है, जो स्वाद ग्रंथियां कमजोर करता है। लगातार सेवन करने से कुछ समय बाद साधारण नमक का भी पता नहीं चलता। इसी तरह पेटीज, मोमोज, पिज्जा, बर्गर आदि खाने से भी तमाम बीमारियां जन्म लेती हैं।

पेटीज को बेकरी से ग्राहक तक पहुंचने में कम से कम तीन दिन तक लगते हैं। ऐसे में उसमें भरे गए आलू जल्द खराब होने की पूरी आशंका है। मोमोज का उबला मैदा भी पाचन तंत्र के लिए नुकसानदेह है।

ठेलों पर परोसे जाने वाले फास्ट फूड की सॉस में बासी सब्जियों के प्रयोग की प्रबल आशंका होती है। इसमें लाल रंग व कृत्रिम खारेपन का प्रयोग किया जाता है, जो कि अल्सर जैसी बीमारी को जन्म देता है।

चिकित्सकों की सलाह :

-गर्मी में फास्ट फूड या जंक फूड के अलावा तली-भुनी चीजों से भी परहेज करना चाहिए।

-पानी खूब पिएं। पानी के साथ नींबू का इस्तेमाल भी बेहतर रहता है।

-खरबूजा एवं तरबूज खाने से पहले उसे कम से कम तीन घंटे पानी में जरूर डालना चाहिए।

-अगर कहीं फास्ट फूड खाना भी पड़े तो नामी कंपनी की सॉस का ही इस्तेमाल करें।

-समोसा खाने से पहले यह जरूर जान लें कि उसमें भरा गया आलू कब उबाला गया।

-धूप से आकर तुरंत कच्ची बर्फ के इस्तेमाल से बचें। रंगदार शर्बत कतई न पिएं।

-खाने में तेल एवं तेज मसालों का प्रयोग न करें।

-मौसमी फलों का अधिकाधिक सेवन करें, लेकिन पहले से कटे हुए फल-सब्जियां न खाएं

-कच्चा आम, आम का पना, पुदीना व सौंफ का इस्तेमाल फायदेमंद रहता है।

-पहले से निकाल कर रखा गया गन्ने का जूस कतई न पिएं। लस्सी एवं दही फायदेमंद है।

 

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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