लाइफ स्टाइल
चमड़े के असली व नकली जैकेट को ऐसे पहचानें
लॉस एंजेलिस | सर्दियों के इस मौसम में बाजार में चमड़े के ढेरों किस्म के जैकेट मिल जाएंगे, असली चमड़े की पहचान न कर पाने के कारण ठगे जाने की संभावना भी रहती है। ऐसे में आप असली चमड़े की जैकेट कैसे खरीदें और ठगे न जाएं, इसके लिए चमड़े की पहचान के कई तरीके हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बनावट और गंध से असली और नकली चमड़े के बीच फर्क किया जा सकता है।
आइए चमड़े के व व अन्य सामानों की ऑनलाईन बिक्री करने वाली वेबसाइट ‘वोगानाउ डॉट कॉम’ के निदेशक अर्शबीर सिंह भाटिया से जानते हैं असली व नकली चमड़े की पहचान के तरीके -:
-: चमड़े को पहचानने का आसान तरीका है उसे दबाकर या खींचकर देखना। अगर चमड़ा असली है तो इसमें सिकुड़न और खिंचाव नजर आएगा और अगर नकली है तो इस पर कोई फर्क नहीं दिखेगा।
-: असली चमड़ा जल्दी खराब नहीं होता और यह 10 साल से अधिक समय तक भी टिका रह सकता है।
-: खरीदने से पहले चमड़े के जैकेट को अच्छी तरह छूकर और महसूस कर जांच लें। जैकेट की सामग्री में हल्की-फुल्की खराबी असली चमड़े की पहचान है। असली चमड़े से प्लास्टिक या केमिकल की गंध नहीं आती है, जबकि नकली लेदर जैकेट से ऐसे गंध आते हैं।
-: असली चमड़े के जैकेट को खींचने पर उसमें बहुत बारीक छेद नजर आते हैं, जो रोमछिद्रों के छेद होते हैं। जबकि कृत्रिम चमड़े के जैकेट को खींचने पर यह आपको नजर नहीं आएगा।
-: असली चमड़े का जैकेट छूने पर मुलायम व कोमल स्पर्श देगा, जबकि नकली चमड़ा कठोर महसूस होता है।
-: असली चमड़ा आसानी से पानी को अवशोषित कर सकता है, जबकि नकली चमड़ा पानी अवशोषित नहीं कर पाता है और इसकी सतह पर पानी की बूंदें नजर आती हैं।
-: असली चमड़े के जैकेट को मोड़ने या खींचने पर लचीलापन और रंग में थोड़ा बदलाव नजर आएगा। वहीं नकली चमड़ा कठोर व सख्त बना रहेगा।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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