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जनहित याचिका पर 23 सालों से नहीं हुई सुनवाई!

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विद्याशंकर राय

लखनऊ। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अस्तित्व में आने के बाद से ही देश की शीर्ष अदालत में जनहित याचिकाओं की बाढ़-सी आ गई है। आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में लगभग 1600 जनहित याचिकाएं लंबित पड़ी हैं। इन पर सुनवाई नहीं हो पाई है। एक मामला यह भी सामने आया है कि एक जनहित याचिका 23 वर्ष पहले डाली गयी थी, लेकिन आज तक इसकी सुनवाई नहीं हो पाई है।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं इंजीनियर संजय शर्मा की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है। शर्मा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय पर जनहित याचिकाओं की सुनवाई का दबाव लगातार बढ़ा है। शर्मा ने बताया, “मेरी एक आरटीआई अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी अजय अग्रवाल ने जो सूचना दी है वह बेहद चौंकाने वाली है। सूचना के अनुसार लंबित जनहित याचिकाओं में सबसे पुरानी याचिका 23 साल पहले वर्ष 1992 के जुलाई में दायर की गई थी। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय में इस समय भी 1598 जनहित याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें से 553 रिट याचिकाएं हैं।”

शर्मा के मुताबिक, अग्रवाल से मिली सूचना के अनुसार एक वर्ष में दायर और निस्तारित जनहित याचिकाओं को देखें तो सर्वाधिक 905 जनहित याचिकाएं वर्ष 2014 में दायर की गईं और इसी वर्ष सर्वाधिक 899 जनहित याचिकाओं का निस्तारण भी हुआ। सबसे कम जनहित याचिकाएं वर्ष 1995 व 1996 में दायर की गईं। वर्ष 1994 और इससे अगले वर्ष 1995 में एक भी जनहित याचिका का निस्तारण नहीं हुआ।
शर्मा ने कहा, “वर्ष 1994 से अब तक सर्वोच्च न्यायालय में कुल 5629 जनहित याचिकाएं दायर हुईं। इस अवधि में न्यायालय ने इनमें से 4268 जनहित याचिकाएं निस्तारित कीं। इस प्रकार पिछले 20 सालों में सर्वोच्च न्यायालय ने लगभग 76 फीसदी जनहित याचिकाओं का निपटारा किया है।”

शर्मा ने कहा कि 23 साल पहले दायर जनहित याचिका का भी लंबित होना एक गंभीर विषय है। जनहित याचिकाओं के निपटारे के लिए अलग से एक नीति होनी चाहिए। इसके तहत जनहित याचिकाएं स्वत: सूचीबद्ध हों और अधिकतम समय सीमा निर्धारित कर इन याचिकाओं का समय सीमा के अन्दर निपटारा हो।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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