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जिनका नेचर से लगाव उनका लिटरेचर की ओर झुकाव : प्रसून जोशी
मुंबई। लेखक-गीतकार प्रसून जोशी को जयपुर साहित्य महोत्सव में एमिटी विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनका कहना है कि जो प्रकृति को और अधिक उजागर कर रहे हैं वहीं साहित्य को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रसून ने कहा, “..जो प्रकृति जैसे हिल स्टेशन और पहाड़ के करीब हैं वह शहर के व्यस्त जीवन को उजागर नहीं करते हैं। इसलिए उनका साहित्य के प्रति झुकाव है।” प्रसून ने फिल्म ‘तारे जमीं पर’, ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘रंग दे बसंती’ के अलावा कई सारी प्रशंसित बॉलीवुड फिल्में लिखी हैं।
उन्होंने कहा, “आप अपने बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर बना सकते हैं, लेकिन आप उसे एक लेखक नहीं बना सकते, जब तक कि उसने बचपन से बहुत पढ़ा न हो। दुर्भाग्यवश शहरी जीवन में ऐसा संभव नहीं है। यहां तक कि साक्षर व्यक्ति जो शहर में रहता है वह अक्सर प्रकृति की यात्रा करता है, इससे उसे ऊर्जा मिलती है।”
उन्हें ऐसा भी लगता है कि सिद्धांत की तुलना में पैसा अधिक मजबूत हो गया है। उन्होंने कहा, “आज हमारे आदर्श वैसे लोग हैं, जिसके लिए पैसा महत्वपूर्ण है, जो बेकार और लुटेरे हैं। हमें उन्हें अपना आदर्श नहीं बनाना चाहिए। हमें नहीं सोचना चाहिए कि यह पैसा कैसे कमाया जाए। मैं पैसे कमाने के खिलाफ नहीं हूं।” उन्होंने कहा, “हमें अपना आदर्श वैसे लोगों को बनाना चाहिए, जिसने कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है।”
जोशी को दो बार सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और कला, साहित्य और विज्ञापन में योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा 2015 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। जोशी को शनिवार को जयपुर साहित्य महोत्सव में एमिटी विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, विचारक, गीतकार, पटकथा लेखक के रूप में कला, साहित्य और विज्ञापन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रसून जोशी को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (डी. फिल.) की उपाधि से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा सम्मान पाने वाले व्यक्तियों में अब्दुला गुल (तुर्की के राष्ट्रपति), एलेन जॉनसन सरलीफ (लाइबेरिया की राष्ट्रपति), अरुण जेटली, प्रो. सी.एन.आर. राव, डॉ. आर.ए. माशेलकर, डॉ. एस.के. ब्रह्मचारी, डॉ. के. कस्तूरीरंगन, डॉ. के. राधाकृष्णन, डॉ. आर. चिदंबरम, अजय जी. परिमल, डॉ. शेखर बसु, प्रो. बिबेक डेबरॉय, शोभाना भारतीय और एन.आर. नारायण मूर्ति सहित कई शामिल थे।
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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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