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बिजनेस

टाइटन आईप्लस ने एक और फ्लिप-ऑन कलेक्शन पेश किया

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नई दिल्ली| ऑप्टिकल रिटेल ब्रांड टाइटन आईप्लस ने एक और ‘फ्लिप-ऑन कलेक्शन’ पेश किया है। इसे चार अलग-अलग फैशनेबल फ्रेम स्टाइलों में उतारा गया है और इसकी कीमत 2,995 रुपये है, जिसमें फ्रेम और अलग से लेंस लगाए जाने वाले टिंटेड मैग्नेटिक क्लिप की कीमत शामिल है। मेन फ्रेम के लिए जरूरी लेंस को अलग से खरीदने की जरूरत है। चश्मे लगाने वालों को अक्सर सूरज की रोशनी में निकलते हुए एक समस्या का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इसकी वजह से अपने चश्मे हटाकर सनग्लासेज लगाने पड़ते हैं। इन परेशानियों को देखते हुए नया फ्लिप-ऑन कलेक्शन पेश किया गया है।

आंखों के लिए सुविधाजनक, आरामदायक और साथ ही ट्रेंडी फ्लिप-ऑन कलेक्शन नियमित प्रयोग के लिए उपयुक्त है और यह अलग से फ्रेम और सनग्लासेज खरीदने का विकल्प साबित हो सकता है।

यह उत्पाद दो जोड़े फ्रेम के साथ आता है, जिसे आगे की तरफ एक अतिरिक्त मैग्नेटिक क्लिप के साथ जुड़े रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले चश्मों की तरह ही पावर वाले लेंसों के साथ इस्तेमाल किया जाता है और इनमें पोलराइज्ड ग्रे टिंटेड लेंस लगे होते हैं। जहां मुख्य फ्रेम को रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले चश्मे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, वही टिंटेड फ्रंट को सूर्य की रोशनी में बाहर निकलते हुए लगाया जा सकता है, जिससे चश्मा सनग्लास में बदल जाता है।

नया रेंज पूरे देश के 182 शहरों में मौजूद 431 टाइटन आईप्लस स्टोर्स में उपलब्ध है
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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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