अन्तर्राष्ट्रीय
टाइम के कवर पेज पर छाए मोदी, बोले- धार्मिक भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेगी सरकार
न्यूयार्क। अमेरिका की प्रसिद्ध मैग्जीन टाइम ने अपने कवर पर ‘वाई मोदी मैटर्स’ शीर्षक के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो छापी है। मैग्जीन ने नरेंद्र मोदी का विस्तृत इंटरव्यू भी प्रकाशित किया है। इस इंटरव्यू में मोदी ने अधिकतर सवालों का जवाब हिंदी में दिया। इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी धर्मों को एकसमान दृष्टि से देखती है और किसी भी प्रकार के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेगी। पीएम ने कहा कि उनकी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की धारणा ‘सबका साथ, सबका विकास’ की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन के साथ सहयोग करता है और इसके साथ ही वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में प्रतियोगिता भी करेगा। मोदी ने यह भी कहा कि 1962 के युद्ध के बाद से दोनों ही देशों ने इतिहास से सबक लिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी मोदी को टाइम अपने कवर पेज पर दो बार स्थान दे चुका है।
यह साक्षात्कार पत्रिका की संपादक नैंसी गिब्स, एशिया संपादक जौहर अब्दुलकरीम और दक्षिण एशिया के ब्यूरो चीफ निखिल कुमार ने लिया। इंटरव्यू में मोदी ने कहा, “गत करीब तीन दशकों से आज तक जब हम 21वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं, भारत-चीन सीमा पर साधारण तौर पर शांति बनी हुई है।” मोदी ने कहा, “तीन दशकों में सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है। इससे साबित होता है कि दोनों देशों ने इतिहास से सीख ली है।”
मोदी ने स्वीकार किया कि भारत-चीन सीमा के बड़े हिस्से पर अब भी विवाद है। प्रधानमंत्री ने कहा, “फिर भी, दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग सुनिश्चित कर पिछले एक-दो दशकों में परिपक्व ता का परिचय दिया है। यह सहयोग पिछले 20-30 सालों में काफी बढ़ा है और आज दोनों देशों में बड़े पैमाने पर आपसी व्यापार, निवेश और परियोजनाओं के लिए साझेदारी हो रही है।” उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां हम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग करते हुए भी वाणिज्य और व्यापार में प्रतियोगिता कर रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में पूछने पर मोदी ने कहा कि मैं मानता हूं कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव नहीं बढ़ाना चाहेगा, चाहे उसकी आबादी 10 लाख हो या अधिक। उन्होंने कहा, “किसी भी देश के लिए यह स्वाभाविक है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करे।” मोदी ने कहा कि मैं मानता हूं कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानवीय मूल्यों का सम्मान करते हुए और इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए हर देश को वैश्विक समुदाय के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाने का हक है।
टाइम ने मोदी से पूछा कि इस महीने बीजिंग की यात्रा से पहले क्या वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कोई विशेष संदेश देना चाहेंगे। इस पर मोदी ने कहा, “मैं यह मानता हूं कि किसी भी दो देशों का रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि एक-दूसरे से संवाद करने के लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि अभी हमारे संबंध का स्तर ऐसा ही है।
अपने दो घंटे के साक्षात्कार में मोदी ने कहा, “जहां कहीं भी अल्पसंख्यक धर्म के बारे में नकारात्मक विचार व्यक्त किए जा सकते हैं, हमने उसे तुरंत नकार दिया।” उन्होंने कहा कि जहां तक सरकार का सवाल है तो उसके लिए केवल एक पवित्र ग्रंथ है, भारत का संविधान। देश की एकता और अखंडता शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों और सभी समुदायों को समान अधिकार हैं, और उनकी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार जाति, संप्रदाय और धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव बर्दाश्त अथवा स्वीकार नहीं करेगी।
गरीबी मेरी पहली प्रेरणा थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गरीबी उनके जीवन की पहली प्रेरणा थी और इसी से उन्हें जीवन में गरीबों के लिए कुछ करने का जज्बा मिला। जब मोदी से पूछा गया कि उन्हें सबसे ज्यादा क्या प्रभावित करता है तो मोदी ने अपने गरीबी भरे शुरुआती दिनों को याद किया। उन्होंने कहा, “मैं एक बेहद निर्धन परिवार में जन्मा हूं। जब मैं बच्चा था तो रेल के डिब्बों में चाय बेचा करता था। मेरी मां जीवन यापन के लिए बर्तन धोया करती थीं और दूसरों के घर में घरेलू काम किया करती थीं।” बीते साल मई में देश के प्रधानमंत्री बने मोदी ने कहा कि मैंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। मैं गरीबी में रहा हूं। एक बच्चे के रूप में मेरा पूरा बचपन गरीबी में डूबा रहा। मेरे लिए गरीबी एक तरह से मेरे जीवन की पहली प्रेरणा है। इसी से मुझे गरीबों के लिए कुछ करने का जज्बा मिला। उन्होंने कहा कि मैंने फैसला कर लिया कि मैं अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए जिऊंगा और उनके लिए काम करूंगा। मोदी ने कहा, “गरीबी में बड़े होने के मेरे अनुभव ने मेरे बचपन को बहुत प्रभावित किया। फिर 12-13 साल की उम्र में मैंने स्वामी विवेकानंद के कामकाज को पढ़ना शुरू किया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे उन्हें हिम्मत और नजरिया मिला और वह अधिक संवेदनशील बने। इसके साथ ही उन्हें नई दृष्टि और दिशा मिली। उन्होंने कहा, “15-16 की उम्र में मैंने अपने जीवन को दूसरों को समर्पित करने का फैसला कर लिया और तब से लेकर आजतक मैं उसी फैसले का अनुसरण कर रहा हूं।”
आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं हो सकते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी नीतियों की परोक्ष आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया को आंतकवादियों को बुरे और खराब में बांटकर देखना बंद करना होगा। मोदी ने साक्षात्कार में कहा कि हमें आंतकवाद को नाम लिखी तख्तियों के रूप में नहीं देखना चाहिए कि वे किस आतंकवादी समूह से आते हैं, उनकी भौगोलिक स्थिति क्या है और उनसे पीड़ित होने वाले कौन हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के समूह या उनके नाम बदलते रहते हैं। आज आप तालिबान या आईएसआईएस को देख रहे हैं, कल हो सकता है ये आपको किसी और नाम से दिखाई दें। अपनी सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा कि आतंकवाद को राजनीतिक नजरिए से देखना बंद करना बेहद अहम है, बल्कि इसे मानवीय मूल्य के आधार पर मानवता के खिलाफ एक ताकत की तरह विश्लेषित करने की जरूरत है।
मोदी ने कहा कि अगर आप सीरिया में आतंकवाद को किसी और नजरिए से और सीरिया के बाहर आतंकवाद को दूसरे नजरिए से देखते हैं तो इससे परेशानी खड़ी हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आप आतंकवाद को श्रेणियों में देखते हैं, जैसे अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद तो इससे भी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। इसी तरह यदि आप तालिबान को अच्छा तालिबान या बुरा तालिबान के रूप में देखते हैं तो इससे अपनी तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। मोदी ने कहा, “हमें इन प्रश्नों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं देखना चाहिए। हमें इन समस्याओं पर एकस्वर होना पड़ेगा, न कि अलग-अलग, क्योंकि आतंकवाद की समस्या पर इसके कारण दुनिया का ध्यान बंटा हुआ रह जाता है। मेरा मानना है कि इसे आसानी से किया जा सकता है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद व्यापक संधि को मंजूरी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे कम से कम यह स्पष्ट होगा कि आप किसे आतंकवादी के तौर पर देखें और किसे नहीं। हमें आतंकवाद को धर्म से जोड़ना बंद करना होगा ताकि आतंकवादियों को अलग-थलग किया जा सके, क्योंकि ये आतंकवादी अपनी बात रखने के लिए इसी धर्म का सहारा लेते हैं।
IANS News
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।
इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।
इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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