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तमिलनाडु संकट के सबक

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तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई और आसपास के जिले बीते 100 साल की सबसे भीषण बारिश से जूझ रहे हैं। चेन्नई सहित पूरा इलाका द्वीप में तब्दील हो गया है। उसका देश के अन्य इलाकों से रेल, सड़क और हवाई संपर्क टूट गया है। भारी बारिश और बाढ़ के कारण मौतों का आंकड़ा 300 के करीब पहुंच गया है और इसके अभी और ऊपर जाने की आशंका है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और करीब पौने दो लाख लोग राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं। ये आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि यह संकट कितना बड़ा है। इसे यूं भी समझा जा सकता है कि भारी भारिश और बाढ़ के कारण 137 सालों में पहली बार द हिंदू अखबार एक दिन चेन्नई समेत कुल चार संस्करण मजबूरीवश नहीं छाप पाया। चेन्नई एयरपोर्ट का हाल तो समुद्र सरीखा नजर आ रहा है और हवाईजहाज, पानी के जहाज जैसे नजर आ रहे हैं।

इससे इन्कार नहीं है कि यह एक प्राकृतिक आपदा है लेकिन यह भी सच है कि चेन्नई सहित पूरे तमिलनाडु में पिछले कुछ सालों में जो रिकॉर्डतोड़ विकास हुआ, उसने भी इस विनाश की नींव तैयार करने में महत्वपूर्व भूमिका निभाई। चेन्नई की विनाशलीला पिछले साल श्रीनगर समेत पूरे कश्मीर में आई भीषण बाढ़ और केदारनाथ आपदा का अगला चरण है। हमने तब भी उस भीषण बाढ़ से सबक नहीं सीखा, जो त्रुटिपूर्ण शहरी नियोजन, नदियों या तालाबों के किनारे या उस पर निर्माण, पानी की निकासी के प्रति उदासीनता और आबादी के बढ़ते दबाव का नतीजा थी। पर्यावरणविदों का कहना है कि पानी चाहे नदी का हो या फिर बरसात का, वह हमेशा रास्ता बदलता है। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी जमीन पर कभी भी अपना हक नहीं छोड़ता। चाहे 10-20 साल या फिर 50-100 साल बाद फिर वह अपनी जमीन वापस ले लेता है और इसके लिए चाहे उसे कितना ही विनाश क्यों न करना पड़े। विशेषज्ञों का कहना है कि केदारनाथ आपदा के बाद अब चेन्नई में भी यही हुआ है।

विकास की अंधी दौड़ में तालाबों और झीलों को कंकरीट के जंगल में तब्दील कर दिया गया। जलीय और दलदली इलाकों में खुद सरकारों ने निर्माण कार्य शुरू कराया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में चेन्नई में 650 से ज्यादा झील व तालाब पट चुके हैं। सरकार ने इस कमी की भरपाई स्टॉर्मवाटर ड्रेन परियोजना से करने की कोशिश की। हालांकि आरोप है कि यह सिर्फ पैसे खाने का जरिया है। चेन्नई के आसपास तालाब, झील, निचले इलाके पटते चले गए और वहां विकास की इबारत लिखी जाती रही। लेकिन अब आसमान से बरसी आफत ने सभी कमियों को आईना दिखा दिया है। चेन्नई के इस संकट ने साफ संकेत दिया है कि केवल आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर नहीं बल्कि शहरों की बसावट और तरक्की की दास्तां लिखते समय भी भविष्य में आने वाली आपदाओं को ध्यान में रखा जाए। इस आपदा ने स्मार्ट सिटी की पूरी योजना पर भी नए सिरे से विचार करने की जरूरत पर जोर दिया है। हम अगर अब भी समय रहते नहीं चेते तो भविष्य में भी हमें इसी तरह की और आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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