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उत्तराखंड

त्रिवेंद्र रावत आज लेंगे उत्तराखंड के सीएम पद की शपथ

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देहरादून। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार अपराह्न् उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ-ग्रहण समारोह परेड ग्राउंड में अपराह्न् तीन बजे होने वाला है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं।


रावत राज्य के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, रावत के साथ छह अन्य मंत्रियों के भी शपथ लेने की संभावना है। मोदी से जुड़े रहे रावत उत्तराखंड में भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कृषि मंत्री थे।

दोईवाला से निर्वाचित रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट को 24,000 वोटों से मात दी थी। वह आरएसएस में प्रचारक के रूप में भी जाने जाते हैं। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को मात देते हुए 70 में से 57 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था।

रावत राज्य में भाजपा के पांचवें मुख्यमंत्री हैं। पार्टी ने उत्तराखंड में अपनी पहली सरकार साल 2000 में बनाई थी, जब उत्तर प्रदेश से अलग होकर यह राज्य बना था। नित्यानंद स्वामी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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