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बिजनेस

दिल्ली सरकार-मर्सिडीज बेंज के बीच मेकैट्रॉनिक्स कोर्स के लिए साझेदारी

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| जी.बी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने बुधवार को एक साल का एडवान्स डिप्लोमा इन ऑटोमोटिव मेकैट्रॉनिक्स (एडीएएम) चलाने के लिए मर्सिडीज बेंज इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।

इस कोर्स का मकसद दिल्ली के युवाओं को नई तकनीकों से शिक्षित करना उन्हें रोजगार लायक बनाना है। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, दिल्ली सरकार शिक्षा के प्रचार-प्रसार और अपने छात्रों को बेहतर अनुभव दिलाने के लिए श्रेष्ठ वैश्विक कंपनियों को लाने का प्रयास कर रही है, ताकि वे बाजार में अपने प्रतिद्वंद्वियों से किसी भी मामले में पीछे न हों। हमने उच्च शिक्षा के साथ स्कूल स्तर पर व्यावसायिक अध्ययनों को जोड़ने का प्रयास किया है, ताकि छात्र विषय से जुड़ी अधिकतम जानकारी प्राप्त कर सकें। मुझे पूरा भरोसा है कि ऐसे उपक्रम हुनरमंद छात्रों को पैदा कर हमारे प्रयास को मदद पहुंचाएंगे।

मर्सिडीज-बेंज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ रोलैंड फोल्गर ने कहा, हमने यह पहल इसलिए की है ताकि हम सुनिश्चित कर सकें कि भारत के युवा सही हुनर और तौर-तरीकों के साथ नई चुनौतियों का सामना करने और उनके पार जाने के लिए तैयार हैं। मेकैट्रॉनिक्स उन्हें ऑटोमोटिव उद्योग के जटिल और वास्तविक डायनैमिक्स के लिए उचित ढंग से तैयार करता है।

डीटीटीई के डायरेक्टर मनोज कुमार (आईएएस) के अनुसार, ‘मर्सिडीज-बेंज जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ इस तरह के सहयोग निश्चित रूप से हमारे छात्रों की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे और इसके बदले में कंपनी जरूरी प्रशिक्षित मानव संसाधन से लाभान्वित होगी। हम विभिन्न प्रकार के उद्योगों से साझेदारी कर रहे हैं, ताकि छात्र अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।

ऐडवांस्ड डिप्लोमा इन ऑटोमोटिव मेकैट्रोनिक्स (एडीएएम) कार्यक्रम का विवरण:

साल 2002 में मर्सिडीज-बेंज इंडिया में मेकैट्रोनिक्स ट्रेनिंग स्कूल शुरू हुआ। हर साल सिर्फ 20 छात्र इस पाठ्यक्रम के लिए पास हो पाते हैं। अपनी शुरूआत से लेकर अब तक 540 से भी ज्यादा छात्र इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं और भारत में कई संगठनों के साथ काम कर रहे हैं।

जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पहले जी.बी. पंत पोलिटेक्निक के नाम से जाना जाता था, इसकी स्थापना 1961 में हुई। यह एशिया में सबसे बड़ा पोलिटेक्निक है जो 20.25 एकड़ में फैला हुआ है और हर साल यहां से 600 से अधिक छात्र उत्तीर्ण होते हैं।

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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