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बिजनेस

देश में मोबाइल उपभोक्ता हो जाएंगे 50 करोड़ से ज्यादा

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नई दिल्ली। सस्ते मोबाइल हैंडसेट, आसान शुल्क योजना और डिजिटल साक्षरता अभियान के चलते इस साल के आखिर तक देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 50 करोड़ से अधिक हो जाएगी। यह बात गुरुवार को जारी जीएसएमए के एक अध्ययन में कही गई है। गौरतलब है कि एक उपभोक्ता कई बार एक या अनेक कंपनियों की कई सेवाएं लिए होते हैं, लेकिन इस रिपोर्ट में सभी सेवाओं की नहीं, बल्कि उपभोक्ता व्यक्ति की गणना की गई है। जीएसएमए जीएसएम दूरसंचार कंपनियों का वैश्विक संगठन है।

‘द मोबाइल इकनॉमी : इंडिया 2015’ रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया 13 फीसदी मोबाइल उपभोक्ता भारत में रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षो में देश में उपभोक्ताओं की संख्या क्षेत्रीय और वैश्विक औसत से अधिक तेजी से बढ़ेगी। भारत को चीन के बाद दूसरे सबसे बड़ा मोबाइल बाजार माना जाता है।

जीएसएमए के कार्यवाहक महानिदेशक और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी एलेक्स सिन्क्लेयर ने कहा, “भारत एक विशेष मोबाइल बाजार है। यहां मोबाइल परितंत्र लोगों के जीवन में बदलाव लाने और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।” जीएसएमए एशिया के प्रमुख अलास्डेयर ग्रांट ने कहा, “स्पेक्ट्रम की निरंतर उपलब्धता ने भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत अत्यधिक प्रतियोगी बाजार है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 के आखिर में देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 45.3 करोड़ थी, जिसके 2015 के अंत में 50 करोड़ से अधिक हो जाने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोबाइल उद्योग ने 2014 में देश की अर्थव्यवस्था में 7.7 लाख करोड़ रुपये (116 अरब डॉलर) का योगदान किया है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 6.1 फीसदी है। यह योगदान 2020 तक बढ़कर 14 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।

इस उद्योग ने 2014 में देश को 40 लाख रोजगार दिए, जो 2020 तक बढ़कर 50 लाख होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, “मोबाइल हैंडसेट पर इंटरनेट उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 2010 में 10 करोड़ से भी कम थी, जो 2014 के अंत में बढ़कर 30 करोड़ हो गई।”

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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