Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

लाइफ स्टाइल

धूप के चश्मों को लेकर आम मिथक!

Published

on

Loading

धूप के चश्मों को लेकर आम मिथक!नई दिल्ली | धूप से आंखों को सुरक्षित रखने का हवाला देते हुए चश्मों की सुंदर जोड़ी को खरीदने का ऑफर मिलना या इससे जुड़े ऐसे कई मिथक हैं जो आपको सनग्लास यानी धूप का चश्मा खरीदने से रोक देते हैं। माई जिम इंडिया के प्रबंध निदेशक आई रहमतुल्लाह ने धूप के चश्मे से जुड़े इन मिथकों के बारे में बताया है :

-धूप के चश्मे के साथ जुड़ा आम मिथक यह है कि इन्हें सिर्फ फैशनेबल नजर आने के लिए पहना जाता है। ये महज फैशन का सामान नहीं होते हैं। सन ग्लास आपको स्मार्ट लुक देने के साथ ही सूरज की हानिकारक किरणों से भी आपकी आंखों को सुरक्षित रखते हैं।

-जो लोग सही से दिखाई देने के लिए चश्मा पहनते हैं, वे सोचते हैं कि सन ग्लास उनके चश्मे के नंबर में उपलब्ध नहीं होता है और यह सिर्फ धूप का चश्मा है, इसलिए ठीक से दिखाई नहीं देगा, यह गलत धारणा है। आजकल बाजार में नंबर के अनुसार, ऐसे धूप के चश्मे उपलब्ध है, जिससे आपको सही से दिखाई देगा और आपकी आखों की धूप से भी रक्षा होगी।

– धूप के चश्मों के लेकर यह भी मिथक है कि सारे धूप के चश्मे पराबैंगनी किरणों से रक्षा करते हैं। हालांकि, चश्मे का ग्लास और पॉलीकार्बोनेट पराबैंगनी किरणों की कुछ मात्रा को अवशोषित कर लेते हैं, लेकिन पूरी तरह से सुरक्षा पाने के लिए लेंस पर कोटिंग करवाना जरूरी हैं।

धूप का चश्मा ऐसा खरीदें जो सामने और पीछे दोनों ओर से पराबैंगनी किरणों को 90-100 प्रतिशत तक ब्लॉक कर दे।

– कई लोग यह सोचकर धूप का चश्मा पहनते हैं कि इसे नहीं पहनने की बजाय इसे पहनने से कम से कम अांखों को कुछ तो सुरक्षा मिलेगी, इसलिए लोग किसी भी क्वालिटी का चश्मा खरीद लेते हैं, लेकिन सस्ता धूप का चश्मा पहनना अपकी आंखों को और नुकसान पहुंचा सकता है।

अगर उनसे आपकी आंखों पर सिर्फ छाया होती है और हानिकारक किरणों यूवीए व यूवीबी से सुरक्षा नहीं मिलती हैं तो फिर ऐसे चश्मोंे के जरिए हानिकारक किरणें सीधे आपकी आंखों पर पड़ती हैं, जो बेहद हानिकारक हैं, इसलिए हमेशा बढ़िया क्वालिटी का ही धूप का चश्मा इस्तेमाल करें।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending