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प्रादेशिक

नई चुनौतियों के बीच जन्मदिन मनाएंगे नेताजी

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लखनऊ। सत्ता की चमक दमक। जनता की कसौटी पर खरा उतरने की कोशिश। नित्य नई बदलती परिथितियों और चुनौतियों के बीच मुलायम मनाएंगे अपना जन्मदिन।

22 नवम्बर 1939 को साधारण किसान परिवार में इटावा में सपा सुप्रीमो का जन्म हुआ था। जीवन के 77 बसंत देख चुके मुलायम सिह को आज तक जो कुछ भी हासिल हुआ है वह कड़ी परिश्रम और लगन से। सूबे में तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे। मौजूदा समय में उनके पुत्र अखिलेश यादव देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। वैसे तो नेता जी ने अपना जन्मदिन कभी भी धूमधाम से नहीं मनाया। सादगी पसंद हैं नेताजी। फिर भी कार्यकर्ता नेता जी के जन्मदिन पर कई कार्यक्रम की तैयारी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने नेता जी के जन्मदिन के अगले दिन चुनावी श्रीगणेश की शुरुआत करने के लिए पूर्वांचल के गाजीपुर में बहुत बड़ी रैली रखी है।

पूर्वांचल की धरती पर शंखनाद से निकलने वाली ध्वनि से सपा के पिछड़ा वर्ग और मुसलमान वोट बैंक में जोश भरने की तैयारी है। जल्द ही राज्य में चुनाव होने वाले हैं। वैसे 3 नवम्बर को रथयात्रा का पहला दौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शुरू कर चुके हैं। नवजवानो में अंगड़ाई भरने का काम हो रहा है। वैसे जब इस बार मुलायम जन्मदिन मना रहे होंगे उसी समय नई चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी होंगी। सत्ता में वापसी समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। साढ़े चार साल में सपा सरकार ने हर दिल अजीज बनने की कोशिश की है। मुलायम के मंत्र से समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए अखिलेश यादव ने बखूबी कोशिश की है।

सडक़ से लेकर सत्ता तक हर पायदान पर जनता की भागीदारी को मुलायम सिंह तवज्जो देते रहे हैं। मौजूदा समय में देश के बदलते हालात को सपा सुप्रीमो अच्छी तरह से भांप गए हैं। एक ओर 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद जनता परेशान हैं। बैंकों में लम्बी कतारें लगी हैं। धन के अभाव में काम-धंधे चौपट होने से छोटे से लेकर उच्च वर्ग तक त्रस्त हैं। पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ संसद से लेकर सडक़ तक लोगों में गुस्सा और बेबसी दिख रही है। मोदी का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। गांव और गलियों में दंगों जैसे हालात दिख रहे हैं। ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सपा से जो जमीन छीनी थी, उसे दोबारा पाने के लिए सपा सुप्रीमो कमर कसते हुए दिख रहे हैं।

हिसाब-किताब चुकता करने में मुलायम सिंह माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। बसपा और कांग्रेस भी सूबे में वापसी के लिए एडी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। अब देखना यह होगा की सपा की युवा जोश और अनुभवी बुजुर्ग नेताओं की टीम मुलायम को उपहार में क्या देती है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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