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नेशनल

नापाक गठजोड़ की एक और बानगी

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नई दिल्‍ली। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अनिल कुमार गोस्‍वामी को पद से हटाने की कहानी ने एकबार फिर नेता, वरिष्‍ठ नौकरशाह और घोटालेबाजों के नापाक गठजोड़ का काला चेहरा सामने ला दिया है। जिस वजह से इस वरिष्‍ठ आईएएस अफसर की शर्मनाक विदाई हुई उससे भारत के सर्वोच्‍च पदों पर बैठे लोगों द्वारा अपने पद के दुरूपयोग की सच्‍चाई सामने आ गई हैं। अब यह बात किसी से छुपी नहीं है कि शारदा घोटाले में किस तरह नेताओं, वरिष्‍ठ नौकरशाहों और घोटालेबाजों ने जनता की गाढ़ी कमाई को ठिकाने लगाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने वाले लोग बड़ी बेहयाई से अपना दामन पाक साफ बताने का प्रयास कर रहे हैं।

सवाल यह उठता है कि सबकुछ जानने के बाद भी क्‍या हमारा सरकारी तंत्र इन तथाकथित बड़े नामों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करेगा? या पूर्व की भांति तमाम घोटालों की फाइल गायब होने की सूची में शारदा घोटाले का नाम भी आएगा।

मेरा निजी अनुभव है कि सभी समस्‍याओं की जड़ कहीं न कहीं अर्थ जुड़ी है। ऐसे में आर्थिक अपराधियों को किसी भी तरह से अन्‍य संज्ञेय अपराध करने वालों से कम नहीं समझा जाना चाहिए। समस्‍या यह है कि भारतवर्ष में आर्थिक अपराध पर कोई बड़ी सजा नहीं है। जबकि इसके लिए कड़े दंड का प्रावधान होना चाहिए ताकि आर्थिक अपराध करने वाले हतोत्‍साहित हों।

अगर आर्थिक घोटालों की तह में जांय तो हर्षद मेहता कांड से लेकर कोयला और टूजी स्‍क्‍ैम तक सभी में कहीं न कहीं से नेता, घोटालेबाज और नौकरशाही का कनेक्‍शन रहा है। विडम्‍बना यह रही कि छोटी-छोटी मछलियों को पकड़कर और उन्‍हें थोड़ी बहुत सजा दिलवाकर कानून के रक्षकों ने अपने कर्तब्‍यों की इतिश्री कर ली। बड़े मगरमच्‍छों पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई जिससे उनके हौसले बढ़ते चले गए।

आज स्थिति यह है कि घोटाले पर घोटाला करने के बाद यही लोग उन्‍हीं काले धन की बदौलत चुनाव जीतकर हमारे रहनुमा बन जाते हैं। देश की भोली-भाली जनता उनकी मक्‍कारी के जाल में फंसकर उन्‍हें अपना नेता मान लेती है और वह सीना ठोंककर यह कहते हैं कि जब जनता की अदालत ने हमें बरी कर दिया तो और किसी अदालत की क्‍या औकात हैं?

अच्‍छा हो कि जनता इस फरेब के जाल से बाहर निकले और इन घोटालेबाजों व इन्‍हें शह देने वालों को अपने मत के जरिए सबक सिखाए क्‍योंकि लोकतंत्र की यही तो खूबी है कि जब तक आप कुर्सी पर हैं तभी तक सही या गलत जो चाहें कर सकते हैं, कुर्सी जाते ही वास्‍तविकता का कठोर धरातल बड़े बड़ों को छठी का दूध याद दिला देता है। उदाहरण के लिए बहुत सारे नाम हैं लेकिन कहने की जरूरत नहीं है। ये पब्लिक है ये सब जानती हैं।

नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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