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बिजनेस

नेस्ले इंडिया में 9 फीसदी से अधिक गिरावट

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मुंबई,मैगी,बंबई स्टॉक एक्सचेंज,बीएनपी पारिबा फायनेंशियल सर्विसिस

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मुंबई | मैगी में कुछ तत्वों की खतरनाक स्तर से अधिक मौजूदगी की रपट का असर बुधवार को इसे बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया के शेयरों पर दिखाई दिया, जिसमें करीब फीसदी गिरावट देखी गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में नेस्ले इंडिया के शेयर 9.05 फीसदी या 616.35 रुपये की गिरावट के साथ 6,191.10 रुपये पर बंद हुए, जो मंगलवार को 6,807.45 रुपये पर बंद हुए थे।

जियोजीत बीएनपी पारिबा फायनेंशियल सर्विसिस के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “छोटी से मध्यम अवधि में गिरावट का रुझान रहेगा, लेकिन लंबी अवधि के लिए निवेशकों को चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह शेयर अब भी काफी आकर्षक है।” नेस्ले ने कहा है कि उसका उत्पाद पूरी तरह सुरक्षित है।

कई राज्यों की सरकारों ने मैगी में लीड जैसे कुछ पदार्थो की खतरनाक स्तर से अधिक मौजूदगी की रपट मिलने के बाद इसके नमूने जांच के लिए भेजे हैं। देश के कुछ प्रमुख डिपार्टमेंट स्टोरों ने अपने रैकों से मैगी हटा दिए हैं। दिल्ली सरकार ने राज्य में 15 दिनों के लिए मैगी पर पाबंदी लगा दी है।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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