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पंजाब चुनाव : युवा मतदाताओं के हाथ होगी दिग्गजों की किस्मत

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पंजाब चुनाव : युवा मतदाताओं के हाथ होगी दिग्गजों की किस्मत

चंडीगढ़ | 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा के लिए अगले महीने होने वाला चुनाव त्रिकोणीय होना तय है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोग से सत्ता में मौजूद शिरोमणि अकाली दल हो, इससे पहले राज्य की सत्ता में रह चुकी कांग्रेस हो या फिर पहली बार राज्य में दमदार दावेदार मानी जा रही आम आदमी पाटी (आप) हो, सभी की तकदीर इस बार मुख्यत: युवा मतदाता तय करेंगे।

पंजाब में एक ही चरण में चार फरवरी को मतदान होने हैं।

2.8 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में 1.97 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1.04 करोड़ है, और महिला मतदाताओं की संख्या 93.1 लाख है।

रोचक बात यह है कि राज्य के युवा मतदाताओं को अधिकतर वयोवृद्ध प्रत्याशियों में से अपने नेता का चुनाव करना है। इसमें अकाली दल और कांग्रेस के मुख्यमंत्री प्रत्याशी भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल 89 वर्ष के हैं, जबकि उनके कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी अमरिंदर सिंह दावा करते हैं कि प्रकाश सिंह बादल की वास्तविक आयु 94 वर्ष है। मजेदार बात यह है कि अमरिंदर भी मार्च में 75 वर्ष के हो जाएंगे।

आप ने अभी तक अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

राज्य में किस्मत आजमा रहीं चारों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का ध्यान युवा मतदाताओं पर है और वे सोशल मीडिया के जरिए उन तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई हैं।

पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी. के. सिंह ने कहा, “हमारी कोशिश अधिक से अधिक संख्या में नए मतदाताओं का पंजीकरण करवाना है। इसके लिए राज्य के विद्यालयों और अन्य स्थलों पर विशेष अभियान शुरू किया गया है।”

भाजपा-अकाली दल की गठबंधन सरकार राज्य में लगातार 10 वर्षो से सत्ता में है और उसकी नजर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने पर है। लेकिन भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, नशीले पदार्थो के अवैध धंधे तथा यातायात, भूमि, रेत और शराब माफिया को बढ़ावा देने जैसे आरोपों के चलते भाजपा-अकाली दल को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह का कहना है, “अकाली दल, खासकर सत्तासुख भोग रहा बादल परिवार पंजाब की कीमत पर पिछले दशक में खूब फला-फूला है। राज्य की जनता उनके कुशासन और उनके शह पर राज कर रहे माफियाओं से त्रस्त है।”

देश में हरित क्रांति के वाहक रहे राज्य में अधिकांश ग्रामीण आबादी खेती-बाड़ी से जुड़ी हुई है और यही आबादी राजनीतिक दलों का सबसे बड़ा वोट बैंक भी है। इनमें भी युवा मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है।

राज्य की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले संगरूर के कृषि विशेषज्ञ अजमेर सिंह ने आईएएनएस से कहा, “राज्य की 94 सीटों पर चुनाव लड़ रहे अकाली दल के ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक मतदाता हैं। वहीं 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा की पकड़ मुख्यत: शहरी इलाकों में है। आप और कांग्रेस, अकाली दल के ग्रामीण वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।”

लोकसभा चुनाव-2014 में चार संसदीय सीटों पर जीत हासिल कर चुकी आप ने राज्य में जमीनी स्तर पर अच्छी पकड़ बना ली है और मौजूदा विधानसभा चुनाव में निश्चित तौर पर वह बड़ी भूमिका निभाने वाली है।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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