बिजनेस
पीएनबी को 11.50 लाख करोड़ रुपये कारोबार की उम्मीद
कोलकाता, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने चालू वित्त वर्ष में करीब 11.50 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान लगाया है।
साथ ही बैंक को उम्मीद है कि वह अपने शुद्ध एनपीओ (फंसे हुए कर्जो) अनुपात को वित्त वर्ष 2017-18 के अंत तक 8 फीसदी से कम पर ले आएगी। आधिकारिक बयान में बुधवार को यह जानकारी दी गई। पीएनबी के कार्यकारी निदेशक संजीव शरन ने आईएएनएस को बताया, वर्तमान में हमारा कुल कारोबार 10.50 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें 60 फीसदी जमा है, जबकि बाकी का ऋण दिया गया है। हमारा लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुल 11.50 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का है।
इस साल 30 जून तक बैंक का फंसा हुआ कर्ज (एनपीए) कुल कर्ज का 13.66 फीसदी तक था, जबकि इसका सकल एनपीए अनुपात 8.67 फीसदी था।
उन्होंने कहा, हमे उम्मीद है कि 2018 के 31 मार्च तक सकल एनपीए का स्तर कुल कर्ज का 12 फीसदी तक आ जाएगा, जबकि कुल एनपीए अनुपात 8.67 फीसदी होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 बड़े खातादारों की पहचान की है, जिनमें से हरेक पर 5,000 करोड़ रुपये या उसके अधिक का कर्ज बकाया है। यह रकम बैंकों के चिन्हित एनपीए का 60 फीसदी से अधिक है।
बैंक ऐसे मामलों को अब दिवालिया और दिवालियपन संहिता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई के लिए भेज रहे हैं।
उन्होंने बताया, पीएनबी ने 9 खातों का मामला आईबीसी को भेजा है, जहां 12 फंसे हुए कजरें वाले खातों पर कार्रवाई चल रही है। पीएनबी का इन 9 खातों में 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है। इसके अलावा 20 अन्य खातों पर 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। कुल 29 खातों पर कार्रवाई की जा रही है।
बैंक का 2017 के 30 जून तक सकल एनपीए 57,720.70 करोड़ रुपये था, जबकि उसका शुद्ध एनपीए 34,572,71 करोड़ रुपये रहा।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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