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अन्तर्राष्ट्रीय

मोदी ने विश्व युद्ध के शहीदों को दी श्रद्धांजलि, सुरक्षा परिषद में मांगी स्थायी सदस्यता

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पेरिस। फ्रांस दौरे पर अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की शहादत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति कार्यक्रमों में उसके योगदान का उल्लेख करते हुए ‘भारत का हक’ कहकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग की। प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स में भारत आज सबसे अधिक योगदान देता है। वह देश जिसने कभी आक्रमण न किया हो, जिस देश ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में औरों के लिए शहादत दी हो। जो देश पीस कीपिंग फोर्स के लिए लगातार अपने सैनिक भेजकर दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए अपनी जान लगा देता है। शांति का झंडा उठाए रखने वाला यह देश सुरक्षा परिषद की सदस्यता पाने के लिए तरस रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया से मैं आग्रह करूंगा कि समय आ गया है शांतिदूतों को सम्मान दने का और यह अवसर है गांधी और बुद्ध की धरती को उसका हक देने का। मैं आशा करता हूं संयुक्त राष्ट्र जब अपनी 70वीं वर्षगांठ मनाएगा तो इन विषयों पर विचार करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को ही इससे पहले नेउवे चैपेल स्थित भारतीय स्मारक पहुंचकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उत्तरी फ्रांस के नेउवे चैपेल के पास यह स्मारक उन 4,700 भारतीय सैनिकों व मजदूरों की याद में बना है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

नरेंद्र मोदी ने नेउवे चैपल स्मारक की अपनी यात्रा का संदर्भ देते हुए कहा, “मैं दुनिया को एक संदेश देना चाहता था कि विश्व भारत को समझे, दुनिया भारत को देखने का नजरिया बदले। यह ऐसा देश है जो अपने लिए ही नहीं औरों के लिए भी बलिदान देता है।” उन्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध में भारत के 14 लाख जवानों ने हिस्सा लिया। लेकिन तब वे भारत के भूभाग का विस्तार के लिए नहीं लड़ रहे थे। प्रथम विश्व युद्ध में भारत के 75,000 जवानों ने शहादत दी। इनमें से 11 भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस सम्मान हासिल किया।

IANS News

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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