उत्तराखंड
पीटीए शिक्षकों का वेतन 10 हजार करने के आदेश
देहरादून। प्रदेश में सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में 1500 रुपये मासिक मानदेय पाले वाले पीटीए शिक्षकों को अब 10 हजार रुपये की धनराशि मिलेगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस सम्बन्ध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों की नियुक्ति में मेरिट को आधार बनाने के निर्देश देते हुए माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के गठन का प्रस्ताव लाने को कहा। वे मंगलवार को सचिवालय में शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, समाज कल्याण विभाग की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर हरिद्वार स्थित मेला नियंत्रण भवन का नाम अगस्त क्रांति भवन किए जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिरान कलियर का मास्टर प्लान तैयार करने, क्षेत्र के सुंदरीकरण पर विशेष ध्यान देने को कहा। शिक्षा विभाग की समीक्षा में उन्होंने निर्देश दिए कि उच्चीकृत विद्यालयों के साथ ही दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में आवश्यक विषयों के अध्यापकों की नियुक्ति की जाए। पूर्व में नियुक्त पीटीए शिक्षकों के मामले में यदि एक्ट में संशोधन की जरूरत हो तो उस पर विचार किया जाए। उन्होंने शिक्षकों को साल में तीन दिन का अर्जित अवकाश देने के भी निर्देश दिए हैं।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने 30 नए आंगनबाड़ी केंद्र खोलने, इन केंद्रों में नेलकटर, गर्भवती-धात्री महिलाओं को भी सप्ताह में एक दिन दूध उपलब्ध कराने को कहा। छात्रों को ज्यामिट्री बाक्स, इंटर की छात्राओं को सेनेट्री नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए 13 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने के निर्देश उन्होंने दिए। इसके अलावा सोशल इंडीकेटर का डाटा बेस भी तैयार करने के निर्देश दिए।
समाज कल्याण विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उप जिलाधिकारियों को भी बहुउद्देशीय शिविर आयोजित कर वृद्धावस्था आदि सामाजिक सुरक्षा योजना से संबंधित पेंशन स्वीकृत करने के अधिकार दिए जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि कब्रिस्तानों की चाहरदीवारी से संबंधित घोषणाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। मदरसों की मान्यता समिति के शीघ्र गठन की भी बात उन्होंने कही।
बैठक में शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, भूपेंद्र कौर औलख, अपर सचिव नीरज खैरवाल, विमी सचदेवा रमन सहित संबंधित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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