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बिजनेस

पीपीएफ और एनएससी से जुड़े नियमों में हुआ बड़ा बदलाव

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नई दिल्ली। सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके बाद विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को बड़ा झटका लग सकता है।

केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत यदि विदेश में रहने वाले किसी व्यक्ति को एनआरआई का दर्जा मिल जाता है तो देश में चल रहा उसका पीपीएफ अकाउंट और एनएससी दोनों ही बंद हो जाएगा। इस संशोधन को अक्टूबर के शुरुआत से आधिकारिक तौर पर लागू कर दिया गया है।

यह संशोधन पीपीएफ योजना, 1968 में किया गया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘पीपीएफ में खाता खोलने वाला कोई व्यक्ति अगर मैच्योरिटी अवधि से पहले एनआरआई बन जाता है, तो उसका अकाउंट तत्काल प्रभाव से बंद हो जाएगा। खाताधारक को खाता बंद होने की तारीख तक का ब्याज मिलेगा।

एनआरआई को केवल भारतीय आय पर ही टैक्स लगता है। इस वजह से वह पीपीएफ जैसी स्कीम में निवेश करते हैं. जिसमें टैक्स की बचत हो। पहले केंद्र ने यह खाते खोलने पर रोक लगाई थी और अब एनआरआई की दर्जा मिलते ही पूर्व में खुले ऐसे खातों पर ब्याज दर भी कम कर दी है। नए नियमों के अनुसार एनआरआई को पीपीएफ, एनएससी और डाकघर की तरफ से चलाई जाने वाली मासिक और दीर्घ अवधि वाली बचत योजनाओं में निवेश करने का अधिकार नहीं है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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