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प्रियरंजन दासमुंशी में था हार न मानने का जज्बा (श्रद्धांजलि)
नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस के दिग्गज और वरिष्ठ नेता प्रियरंजन दासमुंशी की अंतिम सांस के साथ कांग्रेस के एक कद्दावर युग का अंत हो गया। करीब चार दशक तक कांग्रेस की रीढ़ रहे दासमुंशी ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली। नौ साल तक चली जिंदगी से जद्दोजहद में हार न मानने वाले मुंशी ने बिना किसी को अलविदा कहे ही दुनिया को अलविदा कह दिया।
प्रियरंजन दासमुंशी का जन्म 13 नवंबर, 1945 को ब्रिटिश भारत की बंगाल प्रेसीडेंसी के चिरीरबंदर में हुआ था। यह क्षेत्र अब बांग्लादेश का हिस्सा है। साधारण परिवार में जन्मे दासमुंशी को राजनीति में उनके विवादित फैसलों के लिए जाना जाता है। बतौर सूचना प्रसारण मंत्री लिए गए उनके फैसलों पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थीं।
दासमुंशी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस की छात्र शाखा भारतीय युवा कांग्रेस से की और वह 1970 से 1971 तक करीब एक साल संगठन के अध्यक्ष रहे। उन्हें एक दमदार लेफ्ट विरोधी नेता के रूप में जाना जाता था। 1971 में दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट जीतने के बाद वह राजनीति की मुख्यधारा में शामिल हुए और भारतीय संसद का हिस्सा बनें।
युवा कांग्रेस से कांग्रेस पार्टी में शानदार आगाज के बाद उन्होंने 1984 में हावड़ा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता और 1985 में पहली दफा मंत्री पद की शपथ ली। मुंशी को राज्य कैबिनेट में शामिल किया गया और वाणिज्य मंत्री का पदभार सौंपा गया।
मुंशी का हार न मानने का जज्बा तब देखने को मिला, जब उन्हें 1989 और 1991 में हुए आम चुनाव में हावड़ा सीट से दो बार शिकस्त का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने 1996 के आम चुनाव में दोबारा से हावड़ा सीट को चुना और जीत दर्ज की। 1996 में चुनाव जीतने के बाद दासमुंशी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1999 और 2004 के आम चुनावों में रायगंज लोकसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीतकर पार्टी में अपने कद में विस्तार किया।
राज्य में दबदबा कायम करने का इनाम उन्हें नई दिल्ली से मिला। वर्ष 2004 में कांग्रेस नीत संप्रग गठबंधन की सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने संसदीय कार्य मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में अपने सेवाएं दीं।
पदभार संभालने के बाद उन्होंने पश्चिमी टेलीविजन नेटवर्क पर प्रतिबंधों समेत कई विवादास्पद फैसलों को जन्म दिया। इनमें से सबसे ज्यादा सुर्खियां सोनी के स्वामित्व वाली टेलीविजन नेटवर्क एएक्सएन और फैशन टीवी पर उनके फैसलों ने बटोरी। दासमुंशी ने चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों को ‘अश्लील’ बताकर कार्यक्रमों पर तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया था।
दासमुंशी लोकप्रिय होने के साथ-साथ एक विवादास्पद नेता के रूप में जाने जाते थे। भारतीय खेल प्रसारक निंबस कम्युनिकेशंस के साथ भारतीय क्रिकेट प्रसारण को लेकर चले विवाद ने उस वक्त काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
दासमुंशी ने 20 साल तक अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ का भी नेतृत्व किया। उन्होंने 1994 में कोलकाता में एक समाजसेविका दीपा दासमुंशी से विवाह किया। दीपा दासमुंशी से उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम प्रियदीप दासमुंशी है।
दासमुंशी के परिवार को उस वक्त एक तगड़ा झटका तब लगा, जब 12 अक्टूबर, 2008 को उन्हें एक गंभीर दिल के दौरे के साथ लकवे ने अपनी आगोश में समेट लिया। इसके बाद उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके दिमाग में रक्त का बहाव न होने के कारण शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
जिसके बाद उन्हें नवंबर, 2009 में स्टेम सेल थेरेपी के लिए जर्मनी ले जाया गया, जहां करीब डेढ़ साल तक इलाज के बाद वे 2011 में भारत लौटे। लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं हुआ। करीब 9 साल तक बिस्तर पर समय गुजारने के बाद उन्होंने 20 नवंबर को अंतिम सांस ली।
राजनीति में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि वर्ष 2014 में राजग की सरकार आने के बावजूद उनके इलाज का सारा खर्च सरकार ही वहन करती थी।
दासमुंशी का राजनीतिक सफर उनके दमदार फैसलों, हार न मानने वाले जज्बे और अपनी बात मुखरता से कहने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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