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बहुत गहरे हैं जासूसी के तार

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पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी कांड का खुलासा बेहद चौंकाने वाली खबर है। दिल्ली में सरकार की नाक के ऐन नीचे हो रही ये जासूसी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। गोपनीय दस्तावेज चुराकर बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचने वाला गिरोह पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय समेत इन मंत्रालयों के कई विभागों में फैला था। कम शब्दों में कहा जाए तो पूरे ऊर्जा क्षेत्र को निशाने पर रखा गया था। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी कई कंपनियों को गोपनीय दस्तावेज व जानकारी बेचते थे। इनमें रिलायंस, एसआर ऑयल, गैमन और जीएमआर जैसी नामी-गिरामी कंपनियां शामिल हैं। इन दस्तावेजों की जासूसी से पेट्रोल-डीजल के दाम कम व ज्यादा होने की जानकारी कंपनियों को पहले ही मिल जाती थी। इससे कंपनियां अपने मुनाफे वाले फैसले पहले ही कर लेती थीं। टेंडर आदि में भी कंपनियों को टेंडर के दाम व अन्य सूचनाएं पहले उपलब्ध हो जाती थी। कंपनियों को अपने खिलाफ मुकदमेबाजी में सरकार का पक्ष भी पता चल जाता था, जिससे वे अपनी तैयारी और पुख्ता कर लेती थीं।

ये खुलासा हुआ है कि गिरोह के सदस्यों से कंसल्टेंसी चलाने वाले लोग भी गोपनीय जानकारी व दस्तावेज लेते थे। ये लोग इन दस्तावेजों के आधार पर खुद अपनी राय व विचार बनाते थे। इसके बाद ये इस राय व विचार को अपनी वेबसाइट पर डाल देते थे। जो कंपनियां कंसल्टेंसी एजेंसियों से जुड़ी होती थीं वह उनकी राय व विचार पढ़कर अपने फैसले करती थीं।

ये भी पता चला है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) से मिली जानकारी के आधार पर इस जासूसी कांड का खुलासा हुआ है। आईबी ने सितंबर में प्रधानमंत्री कार्यालय को इसकी जानकारी दी थी। आईबी के मुताबिक मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के दो अधिकारी भी शक के दायरे में हैं। आईबी इस केस में 6 महीने से काम कर रहा थी। खुफिया विभाग अब पेट्रोलियम व अन्य मंत्रालयों के बड़े अधिकारियों के विदेश दौरों से जुड़ी जानकारी भी जुटा रहा है।

ये सारी सूचनाएं इस बात का सबूत हैं कि जासूसी कर रहे गिरोह के तार बहुत दूर तक जुड़े हैं। गिरोह की बड़ी मछलियां अभी पकड़ से दूर हैं और इस धरपकड़ से निश्चित ही वे सतर्क हो गए होंगे। देश में स्वच्छता अभियान छेड़ने वाले पीएम नरेंद्र मोदी पर अब जिम्मेदारी है कि पहले अपनी सरकार में ही सफाई अभियान पर ध्यान लगाएं। पीएमओ और खुफिया तंत्र को और गहनता से जांच करने की जरूरत है ताकि इन राष्ट्रद्रोही तत्वों को जल्द बेनकाब किया जा सके।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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