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बिहार चुनाव से पहले ही बिखरने लगा महागठबंधन, अलग चुनाव लड़ेगी सपा

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लखनऊ। बिहार चुनाव से ऐन पहले महागठबंधन को करारा झटका लग गया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने लालू-नीतीश के साथ हुआ गठबंधन तोड़ दिया है। महागठबंधन में शामिल रही सपा ने फैसला लिया है कि वह बिहार विधानसभा का चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने नीतीश कुमार के साथ लालू यादव पर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दोनों ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया। उनके रवैये से सपा ने अपने को काफी अपमानित महसूस किया है।

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को लखनऊ में हुई सपा संसदीय दल की बैठक में इसका निर्णय लिया गया। इसके के साथ ही पार्टी ने बिहार में महागठबंधन से अपने को अलग कर लिया है। पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले या दूसरे दलों के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी की संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी के महासचिव राम गोपाल ने बताया, “हम अपनी पार्टी के महागठबंधन के विलय के पक्ष में नहीं थे। जनता परिवार को जोड़कर एक पार्टी में शामिल होने का मतलब था कि हम अपनी पार्टी के डेथ वारंट पर साइन कर देते।”

उन्होंने कहा कि हमें पता था कि जनता परिवार दल बनने के बाद भी समझौता नहीं हो पाता, तब पार्टी से अलग होते तो हम कहां जाते। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने लखनऊ में पार्टी की संसदीय दल की बैठक के बाद बिहार विधानसभा में चुनाव के मद्देनजर बने महागठबंधन से नाता तोड़ने का ऐलान करते हुए कहा, “हमें जितनी सीटें मिल रही थी उससे ज्यादा जीतेंगे। हम बिहार में अपनी क्षमता के मुताबिक सीट की मांग कर रहे थे।”

बैठक में बिहार के प्रभारी किरनमय नंदा के शामिल न होने पर उन्होंने कहा कि वह कोलकाता में अपने घरेलू कार्यक्रम में हैं। रामगोपाल ने कहा कि बिहार में पार्टी में गठबंधन से बाहर निकलने को लेकर काफी जोरदार आवाज भी उठ रही थी। इसके अलावा टिकट बंटवारे पर पार्टी के बिहार के पदाधिकारी काफी नाराज थे। आज की बैठक के बाद तय हो गया था कि सपा आज आर या पार का निर्णय लेने वाली है।

उन्होंने कहा कि सपा ने बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर कोई आकलन भी नहीं किया था। सीटों के बंटवारे के बारे में भी किसी की राय नहीं ली गई थी। इसी कारण सपा का महागठबंधन में विलय नहीं किया गया। सपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, “बिहार में हमको जितनी सीटें महागठबंधन दे रहे हैं, उससे कई गुना जीतेंगे। अब गठबंधन टूटने का कौन जिम्मेदार है, मैं नहीं जानता।”

रामगोपाल ने कहा, “हमको बिहार में सिर्फ पांच सीट देकर सपा को अपमानित किया गया। पार्टी अब बिहार में पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी।” उन्होंने कहा कि सीटों पर फैसला करने से पहले वार्ता करते। बिना किसी से बात के ही सीटों का बंटवारा करना गठबंधन धर्म का पालन नहीं है। अब पार्टी के बिहार अध्यक्ष रामचंद्र यादव प्रत्याशियों का नाम फाइनल होने पर घोषणा करेंगे। रामगोपाल ने कहा कि महागठबंधन पर हम हर तरीके से तैयार थे, लेकिन हमको बिना बताए ही सीटों का फैसला हो गया, सभी को काफी नागवार लगा।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर लखनऊ में समाजवादी पार्टी की संसदीय दल की बैठक एक सितंबर को होनी थी, लेकिन बैठक टल गई। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव बिहार में समाजवादी पार्टी को मिली सिर्फ पांच सीटों से काफी नाराज थे। पहले तो गठबंधन से सिर्फ तीन सीट दी गई थीं, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने कोटे से दो सीटें देकर इनकी संख्या को पांच किया था।

बिहार विधानसभा के लिए 243 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इसमें जनता दल (युनाइटेड) और राजद ने 100-100 सीटें और कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। बाकी बची हुई तीन सीटों के लिए जनता परिवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया था।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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