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प्रादेशिक

बिहार में सूखे की आशंका गहराई

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पटना। प्रत्येक वर्ष किसी न किसी तरह की प्राकृतिक आपदा झेलने वाले बिहार के किसानों का धैर्य एक बार फिर टूटने लगा है। खेत में लगे धान के बिचड़े सूख रहे हैं, जबकि मक्के के खेत अब भी परती हैं। उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देख किसानों में बारिश की आस तो जगती है, पर बादल बरसे बिना ही चले जाते हैं। बिहार के सात से ज्यादा जिलों के किसानों को एक बार फिर सूखे की चिंता सताने लगी है। वैसे सरकार भी इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

इस वर्ष मानसून आने के बाद हुई बारिश से किसानों को यह आस बंधी थी कि इस वर्ष मानसून दगा नहीं देगी। परंतु बीतते समय के साथ उनकी यह उम्मीद भी टूटती गई। कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक, अगर एक सप्ताह के भीतर मूसलाधार बारिश नहीं हुई तो राज्य में चावल का उत्पादन नीचे गिर जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 34 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होनी थी, परंतु अभी तक मात्र 32 लाख हेक्टेयर भूमि में ही धान की रोपाई हो पाई है।

राज्य में मुजफ्फरपुर समेत सात जिले ऐसे हैं, जहां वर्षा की हालत काफी खराब है, जिस कारण धान की रोपनी प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के अनुसार, अल्प वर्षा की चपेट में सबसे ज्यादा पूवरेत्तर बिहार के जिले हैं। अनुमान है कि अगर एक-दो सप्ताह के अंदर यहां बारिश की स्थिति नहीं सुधरी तो खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित होंगी।

पटना मौसम विभाग के निदेशक एक़े सेन ने बताया कि बिहार में अब तक करीब 780 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक मात्र 6,26़2 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य के 38 जिलों में से छह जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से आधे से भी कम बारिश हुई है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि अब बिहार में तेज बारिश की उम्मीद नहीं के बराबर है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ़ एस़ एऩ सिंह ने बताया कि धान की रोपनी का मुख्य समय 15 से 30 जुलाई है। इसके बाद रोपनी होने से उत्पादन की क्षमता 30 से 35 प्रतिशत तक घट जाती है। एक अन्य कृषि वैज्ञानिक का मानना है कि अभी नुकसान का आकलन करना ठीक नहीं है। जब तक खेत में लगे धान के पौधों में फूल नहीं लग जाते तब तक आकलन नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि धान की कुछ किस्मों का अब भी उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक तापमान ज्यादा नहीं गिरे।

राज्य के कृषि मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि जिन जिलों में कम बारिश हुई है, उन पर राज्य सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। एक-दो सप्ताह तक ऐसी ही स्थिति रही तो आवश्यकता पड़ने पर उन जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार किसानों की फसलों को सूखा से प्रभावित होने से रोकने के लिए तत्पर है। कम बारिश वाले जिलों में डीजल अनुदान बांटा जा रहा है। सूखे से निपटने के लिए राज्य सरकार डीजल पर प्रति एकड़ 1,500 रुपये अनुदान दे रही है। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में फसलों के आच्छादन की स्थिति बहुत बुरी नहीं है, परंतु जिलों में तुलनात्मक रूप से यह असामान्य है। राज्य के 11 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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