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प्रादेशिक

बुंदेलखंड : पांच धड़ों में बंट गया ‘गुलाबी गैंग’

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बुंदेलखंड का महिला संगठन, पांच धड़ों, 'गुलाबी गैंग', संपत पाल, जयप्रकाश शिवहरे

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आर. जयन

बांदा| महिला उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाला बुंदेलखंड का महिला संगठन ‘गुलाबी गैंग’ मौजूदा समय में पांच धड़ों में बंटकर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। संपत पाल (गुलाबी गैंग की संस्थापक सदस्य) के निष्कासन के बाद सभी गुट महिला मुद्दों को पीछे छोड़ चुके हैं। साल 2007 में बांदा जिले के अतर्रा थाने में तैनात दरोगा संगम लाल को थाना परिसर में बंधक बनाकर चर्चा में आए बुंदेलखंड के महिला संगठन ‘गुलाबी गैंग’ को तत्कालीन पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने नक्सली संगठन तक कह दिया था और जांच भी कराई थी। पुलिस के बढ़ते दबाव के बाद भी यह संगठन अपनी अलग पहचान कायम किए रहा, लेकिन मौजूदा समय में यह संगठन पांच धड़ों में बंट चुका है।

संपत पाल के निष्कासन में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय संयोजक जयप्रकाश शिवहरे (बाबू जी) का कहना है कि संपत ने संगठन का कांग्रेसीकरण कर दिया था और लोकसभा चुनाव के दौरान संगठन से जुड़ी महिलाओं को कांग्रेस उम्मीदवारों का प्रचार करवाने भेजा था। उधर संपत पाल का कहना है कि बाबू जी गायत्री परिवार से जुड़े हैं और वह संगठन का भगवाकरण करना चाहते थे, इसलिए कुछ महिलाओं की बैठक में गैरकानूनी ढंग से निष्कासन कर संगठन को कमजोर किया है।

जयप्रकाश और संपत की ‘तू तू-मैं मैं’ के बीच तीन धड़े और अलग हुए, इनमें कौशांबी की चुन्नी मिश्रा, जालौन की अंजली शुक्ला व गुलाबी गैंग के संस्थापक सदस्य रहे दाता जी की अगुआई में कानपुर की आशा निगम भी अलग महिला संगठन बना चुकी हैं। ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ के नाम से पंजीयन कराने वाली आशा निगम का कहना है, “संपत पाल जहां कांग्रेस से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, वहीं जयप्रकाश भाजपा में खुद के लिए ठौर ढूंढ़ रहे हैं। जयप्रकाश या संपत दोनों महिला उत्पीड़न के मामलों में संवेदनशील नहीं हैं, इसलिए अलग संगठन का पंजीयन कराना पड़ा है।” यहां यह बताना जरूरी है कि चुन्नी देवी (कौशांबी), अंजलि शुक्ला (जालौन) व जयप्रकाश वाले धड़ों का अलग-अलग नामों से पंजीयन भी रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट 1860 की धारा-21 के अंतर्गत है, लेकिन संपत पाल अब तक अपने धड़े (गुलाबी गैंग) का पंजीयन नहीं करा पाई हैं।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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