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प्रादेशिक

भाजपा के समागम में रहा ‘गांधी टोपी’ का जलवा

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पटना | गांधी टोपी पहनकर संघर्ष करते हुए दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी (आप) की तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता समागम में भी गांधी टोपी का जलवा रहा।

बिहार की राजधानी के गांधी मैदान में मंगलवार को राज्यभर से आए भाजपा कार्यकर्ताओं के सिर पर ‘भगवा रंग’ की गांधी टोपी सजी रही। फैशन से बाहर हो चुकी गांधी टोपी को वर्ष 2011 में चर्चित गांधीवादी समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद एक बार फिर लोगों ने इसे पहनना शुरू किया था। बिहार विधानसभा के इस चुनावी वर्ष में एकबार फिर गांधी टोपी कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक के सिर चढ़ गई है।

मधुबनी और मधेपुरा के लगभग सभी कार्यकर्ता भगवा रंग की गांधी टोपी लगाकर समागम में पहुंचे, जो पूरे कार्यक्रम के दौरान आकर्षण का केंद्र बने रहे। इस टोपी पर जहां भाजपा का चुनाव चिह्न् ‘कमल’ अंकित है, वहीं दूसरी ओर ‘भाजपा’ लिखा हुआ है। कई लोगों के कपड़े पूरी तरह भगवा रंग में रंगे हुए था।  मधुबनी से आए भाजपा कार्यकर्ता गंगेश ने बताया कि सभी कार्यकर्ता गांधी टोपी पहनकर आए हैं। पहले लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौकों पर गांधी टोपी पहनते थे, अब समय बदल गया है।”

उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तानी आवाम पार्टी (हम) द्वारा गांधी मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में आयोजित अनशन के दौरान भी कार्यकर्ता ‘हम’ लिखे गांधी टोपी पहने हुए थे। उस समय गांधी टोपी पहनने के विषय में पूछे जाने पर मांझी समर्थक विधायक महाचंद्र सिंह ने कहा था कि यह गांधी की पहचान है और ‘हम’ उन्हीं के रास्ते पर चल रही है। बहरहाल, राजनीति में एक बार फिर गांधी टोपी की वापसी को समाज के बुजुर्ग लोग देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं।

भाजपा के समागम में भाग लेने आए मधेपुरा के बुजुर्ग रामवृक्ष की मानें तो 80 के दशक के पूर्व पटना तथा आासपास के इलाकों में गांधी टोपी पहने काफी लोग सड़कों पर मिल जाते थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह टोपी लोगों के सिर से उतरने लगा था। अब इसकी वापसी इस बात का संकेत है कि कालच्रक घूम रहा है और राजनीति भी करवट ले रही है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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