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भारतीय की पिटाई मामले में फिर नतीजे पर नहीं पहुंच सकी जूरी

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वाशिंगटन| भारतीय बुजुर्ग को जमीन पर पटकने के मामले में निर्णायक मंडल एक बार फिर किसी सर्वसम्मत नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। इस वजह से अमेरिका की एक संघीय अदालत ने मामले में ‘मिसट्रायल’ (गलत मुकदमे) का ऐलान किया है। इससे पहले भी मामले में ‘मिसट्रायल’ का ऐलान किया गया था।

इस मामले में आरोप है कि मैडिसन के पुलिस अफर एरिक पार्कर (27) ने इसी साल फरवरी में भारतीय बुजुर्ग सुरेशभाई पटेल को संदिग्ध समझ कर उन पर जरूरत से कहीं अधिक बल का प्रयोग किया था। उन्हें जमीन पर पटक दिया था। इस वजह से पटेल की रीढ़ की हड्डी में ऐसी चोट लगी कि वह व्हीलचेयर पर पहुंच गए।

पटेल का कहना है कि उन्होंने अफसर को बताने की कोशिश की थी कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती। उन्होंने किसी भी तरह से अफसर को धक्का देने की कोशिश नहीं की थी। उंगली के इशारे से अपने घर के बारे में भी बताया था। पटेल इस घटना से कुछ ही दिन पहले अपने पोते की देखभाल करने के लिए अमेरिका आए थे।

बचाव पक्ष की मामले में दलील है कि पटेल ने जिस तरह का शारीरिक हावभाव दिखाया था उससे पार्कर को उन पर काबू पाने के लिए बाध्य होना पड़ा था। बचाव पक्ष ने यह भी कहा था कि अंग्रेजी नहीं आने की बात नहीं मानी जा सकती। जो अमेरिका आ रहा है, उसे यहां के कानून और भाषा से परिचित होना ही चाहिए।

मामले के पहले निर्णायक मंडल ने 11 सितंबर को कोई सर्वसम्मत फैसला न देते हुए 2 के मुकाबले 10 मतों से पार्कर को इलजाम से बरी कर दिया था। इसके बाद फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया था।

लेकिन, दोबारा चला मुकदमा भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका। ए वन डॉट कॉम के मुताबिक निर्णायक मंडल ने हंट्सविले की संघीय अदालत की न्यायाधीश मैडलिन ह्यूज हैकाला से कहा कि बहुत गहन विचार विमर्श के बाद भी वह किसी नतीजे पर पहुंचने में नाकाम रहा है। इस पर न्यायाधीश ने मामले में ‘मिसट्रायल’ घोषित कर दिया।

ए वन डॉट कॉम ने अभियोजन पक्ष के वकील राबर्ट पोजी के हवाले से बताया कि बचाव पक्ष के वकील राबर्ट टूटेन ने मिसट्रायल के बाद अदालत से पार्कर को बरी करने का आग्रह किया है।

अभियोजन पक्ष मामले में तीसरी बार मुकदमा चलाने के बारे में विचार कर रहा है। पोजी ने कहा, “मैं इस मामले में अपने पक्ष के सही होने के बारे में मजबूती से सोचता हूं। यह ऐसी बात है जिस पर हम विचार करेंगे।”

पार्कर के खिलाफ सरकार की तरफ से भी आपराधिक हमले का मामला दर्ज है। यह मामला अभी लंबित है। इसका भविष्य संघीय अदालत में चल रहे मामले के फैसले से जुड़ा हुआ है।

 

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी

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लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।

1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।

2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।

3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।

4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।

5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।

6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।

7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।

8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।

9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।

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