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मुस्लिम कलाकार ने असम में बनाई सबसे ऊंची दुर्गा प्रतिमा (आईएएनएस विशेष)

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गुवाहाटी, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारत के परंपरागत सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना है असम का एक कलाकार, जिसने आज के चुनौतीपूर्ण समय में एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कला और संस्कृति मानव निर्मित धर्म-जाति के सभी सामाजिक विभेदों से परे हैं।

असम के प्रख्यात कला निर्देशक नुरुद्दीन अहमद हाल के दिनों में गुवाहाटी के एक पंडाल में मां दुर्गा की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने के लिए सुर्खियों में हैं।

अहमद ने बिशुनपुर दुर्गा पूजा पंडाल में बांस से 110 फीट ऊंची दुर्गा प्रतिमा बनाई। उन्होंने गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड को अर्जी देकर इस प्रतिमा को दुनिया में बांस से बनी सबसे ऊंची प्रतिमा की मान्यता देने का आग्रह किया है।

अहमद अपनी कला के लिए अतीत में राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार जीत चुके हैं। लेकिन, उनकी इस प्रतिमा का महत्व आज के समय के संदर्भ में बहुत खास हो जाता है जब धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों व दलितों के खिलाफ देश में घृणा अपराध सामने आ रहे हैं।

अहमद ने आईएएनएस से कहा, जन्म से मैं मुसलमान हूं, लेकिन मेरे काम के रास्ते में धर्म कभी आड़े नहीं आया। मैं एक कलाकार हूं और मेरी चाहत एक कलाकृति बनाने की होती है। मैं ऐसा 1975 से कर रहा हूं।

असम के उत्तरी लखीमपुर जिले में पैदा हुए अहमद 1975 से दुर्गा प्रतिमा बना रहे हैं। वह अब तक करीब 200 दुर्गा प्रतिमाएं बना चुके हैं और असम में कई पूजा पंडालों को डिजाइन कर चुके हैं।

उन्होंने कहा, मुझे अभी भी याद है कि मैंने पहली प्रतिमा और पंडाल को 1975 में उत्तर लखीमपुर में डिजाइन किया था। सभी ने इसे पसंद किया था। किसी ने यह सवाल नहीं उठाया था कि एक मुसलमान ने प्रतिमा बनाई है जिसकी पूजा हिंदू करेंगे।

अहमद ने कहा, देखिए, धार्मिक घृणा की यह भावना असम में पहले नहीं थी। सदियों से यहां हिंदू और मुसलमान भाइयों की तरह रहते आए हैं। मैं पूजा मनाता हूं और मेरे कई हिंदू दोस्त ईद के दिन मेरे घर आते हैं। लेकिन, हाल की कुछ घटनाओं की वजह से चीजें अब बदल रही हैं जो असम जैसे समाज के लिए अच्छी बात नहीं है।

उन्होंने कहा, मुझे धार्मिक शत्रुता पसंद नहीं है। मैं मुसलमान हूं, लेकिन यह मुझे दूसरे धर्मो से नफरत नहीं करने देता। मैं सभी दूसरे धर्मो को बराबर सम्मान देता हूं।

अपनी 110 फीट ऊंची बांस की दुर्गा प्रतिमा के बारे में बताते हुए अहमद काफी खुश हो जाते हैं। उन्होंने पहली अगस्त को चालीस कारीगरों के साथ इस पर काम शुरू किया था। इसे बनाने में पूरे दो महीने लग गए। इसी बीच 17 सितम्बर को आए तूफान ने पूरे ढांचे को तहस-नहस कर दिया था। इसके बाद टीम ने दोगुने जोश से काम किया और इसे 23 सितम्बर तक आखिरी शक्ल दे दी।

अहमद के सहयोगी दीप अहमद ने बताया कि प्रतिमा को बनाने में 12 लाख रुपये का खर्च आया। इसमें पांच हजार बांस लगाए गए।

पूजा समिति के सदस्य डी. सरकार ने कहा, यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे पास नूर दा (लोग नुरुद्दीन अहमद को आमतौर से इसी तरह बुलाते हैं) जैसे डिजाइनर हैं जिन्होंने इस साल की प्रतिमा डिजाइन की और बनाई। हमें खुशी है कि तूफान में सब कुछ खत्म हो जाने के बावजूद उन्होंने प्रतिमा का काम समय पर पूरा कर लिया।

उन्होंने कहा, हम नूर दा को लंबे समय से जानते हैं। जन्म से वह मुसलमान हैं लेकिन मूल रूप से वह मानवतावादी हैं। धर्म उनके काम के कभी आड़े नहीं आता।

(यह लेख आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन के सहयोग से विविध, प्रगतिशील व समावेशी भारत को प्रदर्शित करने के लिए शुरू की गई विशेष श्रृंखला का हिस्सा है)

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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