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मुख्य समाचार

मोदी-ट्रंप मुलाकात : गलबहियां, व्यापार और भारत को समर्थन

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यदि गले मिलना और गर्मजोशी से हाथ मिलाना निजी और द्विपक्षीय संबंधों का द्योतक है तो कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई पहली बैठक सफल रही है।

टेलीविजन पर देखा गया कि ट्रंप मोदी को एक से ज्यादा बार सच्चा दोस्त संबोधित कर रहे थे और बेहद गर्मजोशी से गले मिल रहे थे। ओवल कार्यालय में हुई बैठक के बाद रोज गार्डन में हुए संवाददाता सम्मेलन में भी दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री लाजवाब थी।

लेकिन ट्रंप युग में अमेरिका के साथ हुई पहली बैठक में भारत और इस क्षेत्र को क्या हासिल हो रहा है। पहला, ट्रंप ने बड़े पैमाने पर भारत के साथ ‘रणनीतिक साझेदारी’ और ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ के रिश्तों को जारी रखने की बात कही, जो कि रिपब्लिकन के पूर्ववर्ती जॉर्ज बुश द्वारा शुरू किया गया था और डेमोक्रेट बराक ओबामा द्वारा जारी रहा।

दूसरा, ट्रंप अपनी तेज कारोबारी प्रवृत्ति के साथ अर्थव्यवस्था और नौकरियों में जान फूंकना चाहते हैं। इसलिए ट्रंप को लगता है कि भारत के साथ व्यापार किया जाना चाहिए।

विशेष रूप से भारत ने दो अरब डॉलर का ड्रोन खरीदने का ठेका दिया है तथा भारतीय एयरलाइंस द्वारा 100 अमेरिकी विमान खरीदने तथा वेस्टिंगहाउस परमाणु रिएक्टरों की खरीद का समझौता किया है, जो ट्रंप के लिए उत्साहजनक है, क्योंकि इससे अमेरिका में हजारों नौकरियां पैदा होंगी। ट्रंप इसके अलावा चाहते हैं कि भारत अमेरिका से प्राकृतिक गैस का आयात करे और एक सच्चे व्यापारी की तरह इसकी कीमत भी वे ज्यादा लगाना चाहते हैं, जिस पर भारत और अमेरिका के बीच बातचीत हो रही है।

और, अगर भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों का लाभ अपनी चिंताओं और आकांक्षाओं को समायोजित करने के लिए उठाना चाहता है तो चीन, जापान, सऊदी अरब और कतर समेत अन्य देश ऐसा पहले से ही करते आ रहे हैं। इसलिए ट्रंप प्रशासन भारत की चिंताओं का भी जरूर समर्थन करेगा।

ट्रंप ने अमेरिका और भारत के बीच सुरक्षा साझेदारी को ‘बेहद महत्वपूर्ण’ करार दिया है और कहा है कि दोनों देश मिलकर आतंकवादी संगठनों को नष्ट करने का काम करेंगे।

ट्रंप ने जोर देकर कहा, “हम कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को नष्ट कर देंगे।” यह ऐसी बात है, जो पाकिस्तानी हुक्मरानों को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी होगी।

यह एक ऐसी यात्रा है, जो ‘कम उम्मीदों’ के साथ शुरू हुई थी, लेकिन अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति के तुकमिजाजी स्वभाव को देखते हुए, भारत के लिए काफी अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि ट्रंप भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहते हैं।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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