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बिजनेस

मोदी सरकार की नीतियों से देश की रैंकिंग सुधरी : जेटली

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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से व्यापार करने के लिए आसान जगहों में (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) भारत की रैंकिंग बेहतर हुई है। विश्व बैंक ने इस सूची में भारत का स्थान 12 अंक ऊपर कर दिया है। पिछले महीने विश्व आर्थिक मंच ने भी भारत को अपग्रेड किया था।

जेटली ने अपने फेसबुक पृष्ठ पर लिखा है, “हालांकि रैंक में सुधार मध्यम है, लेकिन यह विपरीत रुझान को मोड़ने की शुरुआत है। सरकार ने पिछले 17 महीने में जो कदम उठाए हैं, उन्हें देखते हुए भारत का स्थान खासा ऊंचा होना चाहिए था। इन सभी कदमों को संज्ञान में नहीं लिया गया है, क्योंकि विश्व बैंक का मानदंड एक निर्धारित तिथि पर आधारित है। फिर भी, भारत की स्थिति में जो सुधार हुआ है, उसमें त्वरित निर्णय प्रक्रिया, तीव्र नीतिगत बदलाव, शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म होने और मंजूरी प्रक्रिया सरल होने की अहम भूमिका है। निवेशकों को अब नीतियों में बदलाव या मंजूरियों के लिए दिल्ली आकर मंत्रालयों के आगे लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।”

जेटली ने कहा कि कारोबार शुरू करने की प्रक्रिया सरल बनाने के साथ ही व्यवसाय बंद करने की प्रक्रिया भी सरल बनानी चाहिए। इसके लिए सरकार दिवालियेपन पर कानून का मसौदा तैयार कर रही है। सार्वजनिक परियोजनाओं के संबंध में विवादों के शीघ्र निस्तारण के लिए एक तंत्र बनाने पर भी काम हो रहा है।

जेटली ने हाल ही में असहिष्णुता के मुद्दे पर बुद्धिजीवियों के विरोध की तरफ इशारा करते हुए लिखा है, “कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने बौद्धिक तौर पर सत्ता में भाजपा के विचार को स्वीकार नहीं किया है। स्वाभाविक तौर पर इसमें कांग्रेस, कई वामपंथी विचारक और कार्यकर्ता शामिल हैं। स्वयं प्रधानमंत्री 2002 से वैचारिक असहिष्णुता के शिकार हुए हैं। वे भारत को एक असहिष्णु समाज के तौर पर प्रचारित करना चाहते हैं। वे इतने असहिष्णु हैं कि दूसरी चारधारा को बर्दाश्त नहीं करते।”

उन्होंने कहा, “दादरी में जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। इस तरह के अपवाद को छोड़ दें तो भारत बेहद सहिष्णु समाज है। इसलिए भारत तथा मौजूदा सरकार के शुभचिंतकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने किसी भी कृत्य या वक्तव्य से उन लोगों को कोई मौका न दें जो भारत के विकास में बाधा डालना चाहते हैं।”

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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