प्रादेशिक
यहां विवाह का साक्षी बनता है गूलर का पेड़
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिकाल से ही वृक्षों की पूजा होती रही है। पीपल, बरगद के वृक्षों को तो सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, वहीं विवाह की रस्मों का भी एक विशेष वृक्ष गूलर गवाह बनता है। गूलर के पेड़ की लकड़ी और पत्तियों से विवाह का मंडप बनता है, इसकी लकड़ी से बने पाटे पर बैठकर वर-वधू वैवाहिक रस्में पूरी करते हैं।
जहां गूलर की लकड़ी और पत्ते नहीं मिलते हैं, वहां विवाह के लिए इस वृक्ष के टुकड़े से भी काम चलाया जाता है। छत्तीसगढ़ में गूलर ‘डूमर’ के नाम से विख्यात है। साथ ही इसके वृक्ष और फल का भी विशेष महत्व है। डूमर के पेड़ों और उसके महत्ता से जुड़े बातें ग्रामीण अंचलों के कुछ बुजुर्गों ने साझा किया। जगदलपुर निवासी 60 वर्षीय दामोदर सिंह ने बताया कि यह अत्यंत दुर्लभ वृक्ष है, लेकिन जगदलपुर-उड़ीसा के रास्ते पर यह आसानी से मिल जाता है।
उन्होंने बताया कि इसके फलों को भालू बड़ी चांव से खाते हैं। वहीं मंडपाच्छादन में इसके पेड़ों के लकड़ी और पत्तों के छोटे टुकड़े रखना जरूरी होता है। इसकी लकड़ी से मगरोहन (लकड़ा का पाटा) बनाया जाता है, जिसमें वर-वधू को बैठाकर तेल-हल्दी की शुरुआत होती है। छत्तीसगढ़ अंचल के जाने-माने साहित्यकार परदेशी राम वर्मा ने बताया कि गूलर अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इसकी लकड़ी मजबूत नहीं होती। इसके फल गुच्छों के रूप में तने पर होते हैं। उन्होंने इसकी उपयोगिता पर कहा कि इसके पीछे एक किवदंती है कि गांधारी को शादी में एक ऋषि के अपमान के फलस्वरूप शाप मिला था। शाप से मुक्ति के लिए गांधारी को पहले गूलर की लकड़ी का मगरोहन बनाकर पहले मंडप का फेरा लगाने को कहा गया था। संभवत: तभी से इसका प्रचलन हुआ।
वर्मा ने डूमरी पर एक कहावत का जिक्र किया- सौ पिकरी तो एक डूमरी। इस एक कहावत से ही डूमर की महत्ता अपने आप में प्रमाणित है। साथ ही ‘डूमरी तरी लेडगा मारत हे दतारी..’ जैसे प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीतों के बारे में भी जानकारी दी।
वहीं ग्रामीण अंचल के रहने वाले अशोक, संजय और मोहन जैसे दर्जनों लोगों ने भी इसकी उपयोगिता को छग में विशेष तौर पर माना है। इन लोगों का कहना है कि इसके फलों के अंदर तोड़ते ही छोटे-छोटे बारीक कीड़े निकलते हैं। इस पेड़ की पहचान काफी कठिन होता है। लकड़ी तोड़ने से पहले इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद इसकी लकड़ी का छोटा टुकड़ा लाकर मंडप पर लगाया जाता है। उसके बाद ही शादी की रस्में पूरी होती है।
पंडित केदारनाथ तिवारी ने गूलर की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए बताया कि यह पेड़ दुर्लभ तो है, साथ ही हवन-पूजन में इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि हवन में 9 प्रकार की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें एक डूमर भी शामिल होता है। चिकित्सा की दृष्टि से गूलर की छाल, पत्ते, जड़, कच्चाफल व पक्का फल सभी उपयोगी है। पका फल मीठा, शीतल, रुचिकारक, पित्तशामक, तृष्णाशामक, पौष्टिक व कब्जनाशक होता है। खूनी बवासीर में इसके पत्तों का रस लाभकारी होता है। हाथ-पैर की चमड़ी फटने से होने होने वाली पीड़ा कम करने के लिए गूलर के दूध का लेप करना लाभकारी सिद्ध हुआ है।
मुंह में छाले, मसूढ़ों से खून आना आदि विकारों में इसकी छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से विशेष लाभ होता है। ग्रीष्म ऋतु की गर्मी या अन्य जलन पैदा करने वाले विकारों एवं चेचक आदि में गूलर के पके फल को पीसकर उसमें शक्कर मिलाकर उसका शर्बत बनाकर पीने से राहत मिलती है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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