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नेशनल

युद्ध का प्रतिकार करें भारतीय, चीनी राजनयिक : चीनी विशेषज्ञ

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बीजिंग, 23 जुलाई (आईएएनएस)| भारत और चीन के बीच डोकलाम सीमा को लेकर चल रहा तनाव दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण बन सकता है और दोनों देशों के राजनयिकों को सश संघर्ष का प्रतिकार करना चाहिए। चीन के एक विशेषज्ञ ने ये बातें कहीं।

चारहार इंस्टीट्यूट में शोधकर्ता और चाइना वेस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज के निदेशक लोंग शिंगचुन ने कहा है कि ‘दोनों देशों के बीच इससे पहले अनावश्यक युद्ध हो चुका है’ और फिर से पनपी युद्ध की परिस्थिति दोनों देशों के लिए हानिकारक होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि यह सोचना गलत है कि चीन डोकलाम सीमा पर उपजे तनाव का इस्तेमाल इसी वर्ष होने वाले कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए कर रहा है।

समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में लिखे अपने लेख में लोंग कहते हैं, युद्ध की संभावना असंभव नहीं है। इससे पहले भी गलत समय और गलत जगह अनावश्यक युद्ध हो चुका है। इसलिए, दोनों पक्षों के राजनयिकों का यह सर्वोपरि लक्ष्य होना चाहिए कि युद्ध का प्रतिकार करें, जिसे कोई नहीं चाहता।

उल्लेखनीय है कि भारत, भूटान और चीन की तिहरी सीमा से लगे डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं महीने भर से अधिक समय से तनातनी की स्थिति में हैं।

भारत मामले का समाधान कूटनीतिक स्तर पर चाहता है, लेकिन चीन ने बातचीत के लिए भारत पर सेना वापस बुलाने की शर्त रख दी है।

लोंग अपने लेख में कहते हैं, इस मामले में उन्हें झांसा नहीं देना चाहिए। भारत की फॉरवर्ड नीति के चलते 1962 का युद्ध भड़का, जिसके कारण दशकों तक भारतीय, चीन का विरोधी बना रहा। लेकिन आज उससे वृहद स्तर का युद्ध होता है तो दोनों देशों के बीच सदियों तक शत्रुता बन जाएगी।

लोंग ने चीन में मौजूद भारतीय पत्रकारों और भारत के चीन विशेषज्ञों की भी तनाव के लिए बीजिंग और चीन की सरकारी मीडिया पर आरोप लगाने के लिए आलोचना की।

चीन की मीडिया और चीनी विशेषज्ञों ने लगातार भारत पर तीखे हमले किए हैं और युद्ध भड़काने में लगे रहे हैं।

उन्होंने लिखा है, चीन युद्ध नहीं चाहता। भारत के कई मीडिया समूह और विशेषज्ञ मौजूदा तनाव के लिए चीन पर आरोप लगाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि चीन ने अपनी अंदरूनी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सीमा पर तनाव की स्थिति पैदा की है। कई रिपोर्ट में तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की 19वीं नेशनल कांग्रेस से इसे जोड़ दिया गया है। यह अव्यावहारिक विश्लेषण बताता है कि कुछ भारतीय मीडिया और कुछ भारतीय विशेषज्ञों के पास चीन की कितनी कम जानकारी है।

लोंग कहते हैं कि भारत में 200 से ज्यादा चीन के विशेषज्ञ नहीं हैं और उनमें से भी सिर्फ 10 फीसदी ही चीनी भाषा बोल सकते हैं।

वह लिखते हैं, हां, चीन में कुछ अंदरूनी समस्याएं हैं, लेकिन उनमें से कोई भी इतनी गंभीर नहीं है, जितनी भारत को अपने यहां झेलनी पड़ रही हैं। वास्तव में 19वीं नेशनल कांग्रेस की तैयारियों के लिए चीन को घरेलू माहौल के सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय वातावरण की जरूरत है। और इसे समझना भारतीयों के लिए बेहद मुश्किल है।

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नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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