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मुख्य समाचार

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का निधन, राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने जताया शोक

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। राज्य के राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

रामनरेश यादव मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे। लंबे समय से बीमार चल रहे यादव को सांस लेने में दिक्कत के बाद 18 नवंबर को एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके गृह जिले आजमगढ़ में किया जाएगा।

रामनरेश यादव के निधन की खबर मिलने के बाद लखनऊ स्थित मॉल एवेन्यू आवास पर उनके समर्थकों और रिश्तेदारों के जुटने का सिलसिला शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर रामनरेश यादव का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हुआ था। वह मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में नाम आने के बाद से विवादों में थे।

रामनरेश यादव आजमगढ़ जिले के फूलपुर तहसील के आंधीपुर गांव के निवासी थे। वह 1977 में जनता दल की सरकार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद आठ सितंबर, 2011 को वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने और आठ सितंबर, 2016 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था।

उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि रामनरेश ने हमेशा ही गरीबों एवं मजदूरों के लिए आवाज उठाई। ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी रामनरेश के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी रामनरेश यादव के निधन पर गहरा शोक जताया।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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