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राजनीति छोड़िए, धर्म से नहीं है योग की पहचान!
पूरे देश में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की तैयारियां जोर पकड़ चुकी हैं। इस मौके पर केवल राजपथ पर 40 हजार से अधिक लोगों के एक साथ योग करने की उम्मीद जताई जा रही है। राजपथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होने वाले इस विशेष कार्यक्रम में करीब 35 हजार बच्चे, एनसीसी कैडेट, सेना के जवान, सरकारी कर्मचारियों समेत सांसद और मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा देश में मौजूद कुल 48 लाख केंद्रीय कर्मचारी भी इसमें शामिल होंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया के 100 से ज्यादा देश इस मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं जिनमें 40 से अधिक इस्लामी देश शामिल हैं। ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि योग किसी धर्म विशेष के कारण परिचय का मोहताज नहीं है। ऐसे में योग को लेकर जैसी ओछी राजनीति इन दिनों छिड़ी हुई है वह पूरे देश को शर्मिंदा कर रही है।
पहले मुस्लिम लॉ बोर्ड, कुछ इस्लामी संस्थाओं और विद्वानों में योग दिवस पर किए जाने वाले आसनों में सूर्य नमस्कार को शामिल करने पर पुरजोर आपत्ति जताई। उनका तर्क था कि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी और के सामने झुकने की इजाजत नहीं है। उनके विरोध के बाद केंद्र सरकार ने योग दिवस पर सूर्य नमस्कार करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया। केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि 21 जून को इस आसन को करने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि योग का किसी धर्म से लेना-देना नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि मुस्लिम वर्ग को यह देखना चाहिए कि नमाज पढ़ते समय भी वे आसन की मुद्रा में होते हैं। सरकार के इस तर्क से कोई इन्कार भी नहीं कर सकता है।
योग इस भौतिकवादी समय में खुद को स्वस्थ रखने की एक कला है। जब तमाम इस्लामी देश भी इसके प्रति सकारात्मक नजरिया रखते हैं तो भारत में ही इसका विरोध क्यों? खुद जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने योग दिवस मनाने को लेकर उठे विवाद को पूरी तरह खारिज कर दिया है। वह कहते हैं कि कुरान में कहां लिखा है कि इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है। बुखारी कहते हैं कि कुछ लोग खामख्वाह इसे मुद्दा बनाए हुए है। वे अखबार की सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह का हंगामा करते हैं। भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी कहा कि योग का संबंध स्वास्थ्य से है, इसे इस्लाम से जोड़ना व्यर्थ है और यह बेकार का विवाद है। देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रबल समर्थक हैं। वह कहते हैं कि इससे योग को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी और लोगों को इस अमूल्य भारतीय धरोहर से फायदा उठाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय पद्धतियां शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की जरूरतों का संपूर्ण उत्तर हैं।
इसके बावजूद इस महान कार्यक्रम से पहले कुछ नेताओं ने अपने बयानों में तुच्छ मानसिकता का परिचय दिया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार व्यंग्य कसते हुए कहा कि जनता रोजगार की मांग कर रही है और मोदी जी योग पर फोकस करने के लिए कह रहे हैं। भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ ने व्यंग्यबाण छोड़े कि सूर्य नमस्कार को न मानने वाले समुद्र में डूब जाए, अंधेरे कमरे में जीवन बिताएं या भारत की धरती छोड़ दें।
कुल मिलाकर इस कार्यक्रम को धर्म और राजनीति से जोड़कर देखना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। ये किसी राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि देश के हर नागरिक का उत्सव है। उत्सव है तो हर्षोल्लास तो निश्चित ही इसका हिस्सा होगा। ऐसे में नफरत फैलाकर इस उत्सव के रंग को फीका करने की कोशिश न की जाए तो ही बेहतर है।
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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।
उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा
प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।
विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान
योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।
समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा
पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।
खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।
बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति
चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।
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