मुख्य समाचार
राम मंदिर मामले पर रोज सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
नई दिल्ली| राम जन्मभूमि विवादपर रोज सुनवाई हो या नहीं, इस पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर जल्दी सुनवाई नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि उसके पास जल्द सुनावई का समय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी से यह भी कहा कि हमें यह भी नहीं मालूम था कि आप इस मामले में पक्षकार नहीं हैं।
स्वामी की विवाद पर तुरंत सुनवाई की मांग वाली याचिका पर 21 मार्च को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को आपस में मिलकर विवाद सुलझाने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है और यह बेहतर होगा कि इस मुद्दे को मैत्रीपूर्ण ढंग से सुलझाया जाए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इसे सुलझाने के लिए सभी पक्ष सर्वसम्मति के लिए एक साथ बैठें।
मामले की आज सुनवाई 31 मार्च को होनी थी। कोर्ट ने स्वामी से संबंधित पक्षों से सलाह करने और इस संदर्भ में लिए गए फैसले के बारे में कोर्ट को सूचित करने के लिए 31 का समय दिया था।
पहले भी कोर्ट ने दी थी ऐसी अनुमति
गत वर्ष 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्त किये गये विवादित ढांचे के स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग करने वाली स्वामी की याचिका के साथ उन्हें अयोध्या विवाद से संबंधित लंबित मामलों में बीच बचाव करने की अनुमति दी थी।
इससे पहले भाजपा नेता ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निमार्ण की अनुमति देने का निर्देश देने के लिए एक याचिका दायर की थी और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष उस पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था।
अपनी याचिका में स्वामी ने दावा किया था कि इस्लामी देशों में प्रचलित प्रथाओं के तहत किसी मस्जिद को सार्वजनिक उद्देश्यों जैसे कि सड़क निमार्ण के लिए किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है जबकि किसी मंदिर का निर्माण होने और उसमें मूत्रियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उसे हाथ नहीं लगाया जा सकता।
उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के निस्तारण में तेजी लाने के निर्देश देने की भी मांग की थी, जिसमें 30 सितंबर 2010 को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को तीन तरीके से विभाजित करने का फैसला दिया था।
नेशनल
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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