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उत्तराखंड

विवादों में फंसे राज्य शिक्षामंत्री, देने आए थे भाषण खुद खरी-खोटियां सुन चलते बने

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हरिद्वार। उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री एक बार फिर विवादों में है। दरअसल पंचायतीराज और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय त्रिस्तरीय पंचायत सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने अपने भाषण में बोल डाला कि एक दिन दो घंटे पानी नहीं पीओगे तो मर नहीं जाओगे, शर्म करो इंसान बनो। इसके बाद सभा में भाग लेने आये प्रतिनिधियों ने जमकर बवाल काटा और वहां से लौटने पर मजबूर हो गए। इतना ही नहीं वहां मौजूद कई प्रतिनिधियों ने यह कहते हुए लौट गए कि वह यहां अपमान कराने नहीं आए हैं।

दरअसल पूरा मामला केवल इतना था कि त्रिस्तरीय पंचायत सम्मेलन में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इसी वजह से वहां मौजूद लोग प्यास से काफी परेशान थे। इसके बाद पानी की मांग पर पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने मंच से ही पंचायत प्रतिनिधियों को खरी खोटी सुना में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने मेयर मनोज गर्ग से भी कह दिया कि ‘ऐ चुपचाप बैठो’।

हालांकि मेयर मंत्री के गुस्से को केवल शांत करने की कोशिश में थे। इसके बाद पूरे मामले में मंत्री के समर्थन में नारेबाजी होने लगी। पूर्व सांसद बलराज पासी ने मामले को शांत कराने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। पासी के इशारे पर मंत्री बोले कि ‘बहुत हो गया अब’। ‘कहां है प्रशासन! हल्ला करने वालों को बाहर निकालो। मंत्री ने इसके बाद पूरी तहर से बौखला गए और कहने लगे एक दिन दो घंटे पानी नहीं पीओगे तो मर नहीं जाओगे।

कमियां हर किसी में हो सकती हैं।’ आंदोलन के लिए नहीं बुलाया। उन्होंने आगे कहा कि ‘मैंने आंदोलन के लिए नहीं बुलाया। पानी के लिए आंदोलन करने वालों को शर्म आनी चाहिए। हालांकि इसके बाद भी बवाल बढ़ गया और वहां से कई लोगों ने किनारा करने में अपनी भलाई समझी।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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