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व्यापारियों ने मैगी में लगाई आग, नेस्ले इंडिया का शेयर भी गिरा

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गाजियाबाद/मुंबई। नेस्ले कम्पनी के उत्पाद मैगी नूडल्स में हानिककारक तत्व पाए जाने के बाद चौतरफा मैगी का बहिष्कार होने लगा है। गुरुवार को मेरठ मण्डल अध्यक्ष अरविंद कुमार तेवतिया के नेतृत्व में संयुक्त व्यापार मण्डल के बैनर तले व्यापारियों ने मैगी नूडल्स को जलाकर प्रदर्शन किया। वहीं गुरुवार को मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया के शेयरों में करीब तीन फीसदी गिरावट दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में नेस्ले इंडिया के शेयर 2.91 फीसदी या 180.30 अंकों की गिरावट के साथ 6010.80 पर बंद हुए।

गाजियाबाद में तेवतिया ने कहा कि नेस्ले कम्पनी के मैगी नूडल्स पर न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 2 मिनट में तैयार होने वाली ये मैगी स्वास्थ्य के लिए इतनी घातक होगी, मैगी को चाहने वालों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। उन्होंने कहा कि कम्पनी के मालिक पर लोगों के स्वास्थय से खिलवाड़ करने का मुकदमा दर्ज करके तुरंत जेल भेज देना चाहिए। साथ ही मैगी नूडल्स का विज्ञापन करने वाले सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जिससे वह भविष्य में किसी घटिया व स्वास्थ्य के लिए घातक खाद्य पदार्थ का विज्ञापन न करें।

वहीं बुधवार को नेस्ले के शेयर 9.05 फीसदी या 616.35 अंकों की गिरावट के साथ 6191.10 पर बंद हुए थे। सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) में नेस्ले इंडिया की शिकायत की थी और कहा था कि कंपनी के एक प्रमुख ब्रांड मैगी में सीसा जैसे कुछ पदार्थ सीमा से अधिक हो सकते हैं। उत्तराखंड और गुजरात ने गुरुवार को मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया है। दिल्ली ने बुधवार को इस पर 15 दिनों की पाबंदी लगाई है। जियोजीत बीएनपी पारिबा फायनेंशियल सर्विसिस के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “मैगी मुद्दे का शेयर पर भारी प्रभाव पड़ा है। आम तौर पर बाजार में गिरावट के दौरान भी यह शेयर काफी मजबूत रहा है।”

उन्होंने कहा, “छोटी से मध्यम अवधि में गिरावट हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह शेयर अब भी आकर्षक है।” नेस्ले इंडिया ने हालांकि कहा है कि उसका उत्पाद सुरक्षित है। कंपनी ने एक बयान में कहा, “हमें विश्वास है कि भारत और अन्य कहीं भी हमारा मैगी नूडल खाने के लिए बिल्कुल सुरक्षित है।” कंपनी ने कहा, “हम अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं और स्थिति को स्पष्ट करने के लिए उनके संपर्क में हैं।” कई राज्यों ने मैगी के नमूनों को जांच के लिए भेजा है और देश के कई प्रमुख रिटेल श्रंखलाओं ने अपने रैकों पर से मैगी को हटा दिया है।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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