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मुख्य समाचार

शरई वजहों के बिना तलाक देने वाले का होगा सोशल बायकॉॅट

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा-संगीन नहीं तीन तलाक

लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने दो दिनों तक मंथन के बाद कहा है कि बिना ठोस आधार के पत्नी को तीन तलाक नहीं दिया जा सकता है। शरिया में बताए गए कारणों के अलावा यदि कोई अन्य बहाने से तीन तलाक देता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

बोर्ड ने यह भी कहा कि इस मुद्दे को लेकर भ्रम की स्थिति है और इसे दूर करने के लिए नियम-कायदे जारी किए जाएंगे। हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके कानूनी पहलू पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।

बोर्ड ने कहा कि जिन महिलाओं के साथ तीन तलाक में अन्याय हुआ है, बोर्ड उनके लिए हरसंभव मदद को तैयार है। हमने सर्वे किया है कि तलाक को जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, मामला उतना संगीन नहीं है। जितना बताया जा रहा है उसका 10 प्रतिशत भी नहीं है।
बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बोर्ड की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के दूसरे और अंतिम दिन यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बोर्ड ने तीन तलाक की व्यवस्था में किसी भी तरह का परिवर्तन करने से मना किया है लेकिन साथ ही एक आचार संहिता भी जारी की है। इसकी मदद से शरई निर्देशों की असली सूरत सामने रखी जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि बोर्ड तमाम उलेमा और मस्जिदों के इमामों से अपील करता है कि इस कोड आफ कंडक्ट को जुमे की नमाज के खुतबे में पढक़र नमाजियों को जरूर सुनाएं और उस पर अमल करने पर जोर दें।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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