मुख्य समाचार
संयमित उपभोग से ही बच सकती है पृथ्वी: बृजेन्द्र स्वरुप
लखनऊ । यदि सात अरब पृथ्वी वासियों के सपनों को पूरा करना है तो मौजूदा संसाधनों का संयमित उपभोग और विकल्पों की तलाश ही एकमात्र उम्मीद है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी वैज्ञानिक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए वन संरक्षक (केन्द्रीय) बृजेन्द्र स्वरुप ने यह बात कही।
उन्होंने संसाधनों के दोहन की प्रवृत्ति पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि वास्तव में पृथ्वी और पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित करना सभी की जिम्मेदारी है और खास तौर पर केन्द्र सरकार के प्रयासों के साथ साथ व्यक्तिगत प्रयास करने की भी आवश्यकता है। सिक्कम प्रदेश में कार्यकाल के दौरान अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जैविक खेती तथा अन्य वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर भी हरित अर्थव्यवस्था को बृहद आकार दिया जा सकता है। भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नीतियों के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित करने के प्रयासों की भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की ।
हिन्दी वैज्ञानिक संगोष्ठी में बोलते हुए वैज्ञानिक डा. अमित कुमार गुप्ता ने कहा कि जिस तरह आबादी बढ़ रही है अगर उसके लिहाज से हमने खुद को परिवर्तित नहीं किया तो हम देश की युवा पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य नहीं दे पाएंगें। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति छोटे छोटे प्रयास करके भी पर्यावरण और खासतौर पर जल और उर्जा को बचाने में अपना योगदान दे सकता है। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष का विषय ‘सात अरब सपने, एक पृथ्वी, संभलकर करें उपभोग‘ है और मौजूदा समय में अगर हमने इस विषयवस्तु पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय संकट से भरा हो सकता है। उन्होने स्कूली पाठ्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण को शामिल करने के साथ साथ बच्चों को उसके प्रति जागरुक करने पर जोर दिया।
हिन्दी वैज्ञानिक संगोष्ठी में केन्द्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पर्यावरण को सुरक्षित करने का संकल्प भी लिया। इस अवसर पर परिसर में कंचन कुमार राय द्वारा निर्मित पर्यावरण जागरुकता से संबंधित आकर्षक पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन कमल मिश्र ने किया ।
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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