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सीएम से मिले लक्ष्मीकांत, मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की मांग उठाई

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाये जाने की श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंच गई है। बुधवार को स्वयं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के लिए केन्द्र सरकार को संस्तुति करने का आग्रह किया।

पार्टी का कहना है कि डॉ. बाजपेयी की इस मांग को मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर मेरठ को स्मार्ट घोषित किये जाने के पक्ष में दिये तर्को से अपनी सहमति जतायी है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने 29 जुलाई 2015 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्मार्ट सिटी राज्य स्तरीय समिति की बैठक में लिए गये निर्णय की विसंगतियों को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री को एक पत्र भी सौंपा, जिसमें डॉ. बाजपेयी ने मुख्यमंत्री से इस सम्बन्ध में तमाम सवाल भी किए हैं।

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किये गये तथ्यों में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मेरठ को 75 अंक मिले-83 मिलने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि मेरठ स्वतंत्रता संग्राम, क्रांति व एनसीआर का केन्द्र, नगर निगम, मंडल मुख्यालय है। वहीं मेरठ सर्वाधिक टैक्स देने वाला महानगर है।

डॉ. बाजपेयी ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाते वह रायबरेली को भी स्मार्ट घोषित किए जाने की लड़ाई लडें़गे लेकिन उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 1951 से 1959 तक फिरोज गांधी, 1967, 1971, 1980 इन्द्रिरा गांधी, 1984 अरुण नेहरू, 1984 व 1991 में शीला कौशल, 1999 में सतीश शर्मा, और 2004 से अबतक सोनिया गांधी सांसद हैं। स्पष्ट है कि 1952 से अब तक ज्यादातर सांसद कांग्रेस के रहे और कांग्रेस पार्टी केन्द्र व प्रदेश दोनों में ही सत्ता में रही आखिर रायबरेली का विकास क्यों नहीं हुआ?

भाजपा अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि मेरठ का स्मार्ट सिटी का अधिकार छीनने का प्रयास क्यों? उन्होंने कहा कि हमारा विरोध तर्को व तथ्यों पर आधारित है। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा भाजपा अध्यक्ष की तर्क संगत मांग को स्वीकार कर मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के लिए केन्द्र सरकार को अनुशंसा करने तथा मेरठ शहर को विकास कार्यो के लिए 2 करोड़ की धनराशि की मांग को स्वीकृत करने, मेरठ मेट्रो की डीपीआर शीघ्र तैयार कराने और एक जरूरतमंद बच्ची के इलाज के लिए सात लाख की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया है।

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स्वच्छ घाट प्रतियोगिता 2.0: छठ महापर्व पर घाटों की स्वच्छता और सौंदर्यीकरण के लिए योगी सरकार ने बढ़ाए कदम

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लखनऊ| छठ महापर्व के अवसर पर योगी सरकार प्रदेश में स्वच्छ घाट प्रतियोगिता 2.0 का आयोजन कर रही है। 8 नवम्बर, 2024 तक आयोजित इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य घाटों पर स्वच्छता, सौंदर्यीकरण, और प्लास्टिक मुक्त परिवेश सुनिश्चित करना है। विभिन्न निकायों के बीच इस प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए अनेक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया है।

स्वच्छता के प्रति नागरिकों में जागरूकता लाने का प्रयास

प्रतियोगिता के अंतर्गत घाटों पर साफ-सफाई बनाए रखने हेतु अर्पण कलश स्थापित किए गए हैं, जिससे लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही, घाटों को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया गया है ताकि प्लास्टिक और थर्माकोल के उपयोग को प्रतिबंधित किया जा सके।

सुविधाएं और रखरखाव पर विशेष ध्यान

प्रतियोगिता के दौरान घाटों पर शौचालयों और स्नान घरों की स्थापना की जा रही है। इन सुविधाओं का नियमित रखरखाव भी सुनिश्चित किया जा रहा है। स्वच्छ सारथी क्लब, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, एनजीओ और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी से इन सुविधाओं को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।

नवाचार और सौंदर्यीकरण

घाटों का सौंदर्यीकरण और पूर्ण रूप से बदलाव लाने के लिए नवाचार गतिविधियों का आयोजन किया गया है। कूड़े के उचित निपटान हेतु डस्टबिन की व्यवस्था की गई है ताकि घाट क्षेत्र हमेशा साफ-सुथरा बना रहे। साथ ही, घाटों की स्वच्छता में अधिकतम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

सामाजिक संगठनों की भूमिका

इस स्वच्छता अभियान में एनजीओ, सीएसओ और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इन संगठनों द्वारा घाटों पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाया जा रहा है।

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