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हंगामा है क्‍यूं बरपा, चोरी तो….

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रामचरित मानस में गोस्‍वामी तुलसीदास ने लिखा है कि ‘जाकह प्रभु दारूण दुःख दीन्‍हा ताकर मति पहिले हर लीन्‍हा’ दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मानस की यह चौपाई इस समय सटीक बैठ रही है। दिल्‍लीवासियों को भ्रम में डालकर बंपर बहुमत से चुनाव जीतने के बाद जब केजरीवाल विकास का कोई काम नहीं कर पा रहे हैं तो जनता का ध्‍यान बंटाने के लिए सीबीआई के एक रूटीन छापे को केंद्र सरकार से जोड़कर खुद को पाकदामन साबित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनको दारूण दुःख मिलेगा।

मामला शुरू हुआ केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार पर लगे भ्रष्‍टाचार के पुराने आरोप में सीबीआई द्वारा दिल्‍ली सचिवालय में उनके आफिस में छापेमारी करने से। बुरी तरह भड़के केजरीवाल ने एक चुनी हुई सरकार के निर्वाचित प्रधानमंत्री पर अपशब्‍दों की बौछार कर दी। प्रधानमंत्री मोदी को ‘कायर व मनोरोगी’ तक बता डाला। अरविंद की इस प्रतिक्रिया से तीन प्रश्‍न खड़े होते हैं। पहला जब सीबीआई ने राजेंद्र कुमार को पूर्व में ही भ्रष्‍टाचार का आरोपी बना चुकी है तो केजरीवाल, जो भ्रष्‍टाचार से लड़ने का ढिंढोरा पीटते आए है, उन्‍होंने एक दागी व्‍यक्ति को अपना प्रधान सचिव बनाया ही क्‍यों? दूसरा सवाल जब भ्रष्‍टाचार के आरोपी एक अफसर के खिलाफ सीबीआई छापा मार रही है तो केजरीवाल को इतनी तिलमिलाहट क्‍यों? उन्‍हें तो इसका स्‍वागत करना चाहिए था। तीसरी सवाल क्‍या राजनेता इतने गिर गए हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लो‍कतंत्र के एक निर्वाचित प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की शब्‍दावली जो‍कि संविधान के खिलाफ है, इस्‍तेमाल कर सकते हैं?

जवाब यह है कि केजरीवाल का भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का नारा खोखला है क्‍योंकि उनके तमाम विधायक यहां तक कि मंत्री भी भ्रष्‍टाचार के विभिन्‍न आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे हैं। जहां तक इस मामले का सवाल है तो केजरीवाल की तिलमिलाहट इस बात पर भी हो सकती है कि शायद राजेंद्र कुमार ने अपने कुकर्मों की कुछ फाइलें केजरीवाल के पास छिपाई हों और उन्‍हें इस बात की तसल्‍ली रही हो कि यहां सीबीआई कहां छापा मारने वाली वह तो आरोपी की दफ्तर पर छापा मारेगी। केजरीवाल की तिलमिलाहट और उनका प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रयोग किया गया अपशब्‍द दाल में काला साबित करने के लिए काफी है।

जहां तक प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्‍दों के प्रयोग की बात है तो नरेंद्र मोदी पिछले लगभग 15 वर्षों से इस तरह के अपशब्‍दों को झेल रहें हैं उनके संस्‍कार उन्‍हें ऐसे शब्‍दों का प्रयोग करने से रोकते हैं। कोई उनको लाख गाली देता रहे वो देशहित में काम करते रहेंगे क्‍योंकि राष्‍ट्रसेवा का व्रत उन्‍होंने ले रखा है। अंतिम बात, यह वही केजरीवाल हैं जिन्‍होंने 2012 में ट्वीट करके कहा था कि सीबीआई को बिना बताए काम करना चाहिए क्‍योंकि अगर सीबीआई हल्‍ला मचाकर काम करेगी तो आरोपी सतर्क हो जाएगा। आज केजरीवाल और उनकी अभद्र टीम कह रही है कि मुख्‍मंत्री को सूचना देनी चाहिए थी। जब ऐसी कोई संवैधानिक व्‍यवस्‍था नहीं है तो सीबीआई आखिर ऐसा क्‍यों करे? केजरीवाल ने दिल्‍ली की जनता को मूर्ख बनाया है और अपने कुकृत्‍यों पर पर्दा डालने के लिए वह और उनकी नाकारा टीम नित नए बहाने करती रहती है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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