प्रादेशिक
दून का ऐतिहासिक झंडा मेला 28 से
लाखों श्रद्धालु लेते हैं हर साल भाग
किसी किसी को नसीब होता है दर्शनी गिलाफ चढ़ाना
देहरादून । ऐतिहासिक झंडा मेला देहरादून में आगामी 28 मार्च से शुरू हो रहा है। इस मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए यहां संगतें पहुंचनी शुरू हो गई हैं। लगभग एक माह तक चलने वाले इस मेले में हर साल लगभग दस लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रशासन ने मेले की सुरक्षा की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
मेले की कहानी
देहरादून के बीचोंबीच स्थित झंडा साहिब की कहानी 1675 में शुरू हुई थी। नानक पंथ के सातवें गुरु हरराय महाराज के ज्येष्ठ पुत्र गुरु रामराय ने देहरादून के इसी स्थान पर झंडा चढ़ाया था। इसके बाद इसने एक परंपरा का रूप ले लिया। हर साल यहां झंडा चढ़ाया जाता हैै। यह एक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक परंपरा है जो दून में पनपी और पंजाब, हरियाणा, यूपी, हिमाचल व दिल्ली तक फैल गई। अब झंडा साहेब के इस मेले में विदेशों में रहने वाले श्रद्धालु भी यहां आते हैं। वर्ष 1675 में चैत्र कृष्ण पंचमी यानी होली के पांचवे दिन गुरु रामराय महाराज के कदम दून की धरती पर पड़े। उनकी प्रतिष्ठा में एक बड़ा उत्सव मनाया गया। यहीं से झंडा मेला की शुरुआत हुई, जो कालांतर में दूनघाटी का वार्षिक समारोह बन गया।
1675 में पड़ी चूल्हे की नींव
देहरादून में साझा चूल्हे की नींव दरबार साहिब श्री गुरु रामराय के आंगन में वर्ष 1675 में चैत्र पंचमी के दिन पड़ी। यही देहरादून में ऐतिहासिक झंडा मेला की शुरुआत हुई। उस समय देहरादून एक छोटा गांव हुआ करता था। मेले में पहुंचने वाले लोगों के लिए भोजन का इंतजाम करना आसान नहीं था। इसी को देखते हुए श्री गुरु रामराय महाराज ने ऐसी व्यवस्था बनाई कि दरबार की चैखट में कदम रखने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न लौटे।
चूल्हे की आंच ठंडी नहीं पड़ी
इसके बाद बीते 339 साल से दरबार साहिब में चूल्हे की आंच ठंडी नहीं पड़ी। इस चूल्हे ने अपनी चैखट पर आए किसी भी व्यक्ति से कभी यह सवाल नहीं किया कि उसका मजहब क्या है। यह भेद करना नहीं, भेद मिटाना जानता है, इसीलिए इंसानियत का सांझा चूल्हा बन गया। जब इस मेले की शुरुआत हुई उस दौर में पंजाब व हरियाणा से ही संगतें दरबार साहिब पहुंचती थीं, लेकिन धीरे-धीरे झंडे जी की ख्याति देश-दुनिया में फैलने लगी।
अलग-अलग स्थानों पर चलते हैं लंगर
हर दिन झंडे जी के दर्शनों को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा और इसी के साथ विस्तार पाने लगा दरबार साहिब के आंगन में खड़ा सद्भाव का यह सांझा चूल्हा। आज भी यहां हर दिन हजारों लोग एक ही छत के नीचे भोजन ग्रहण करते हैं। झंडा मेले के दौरान यह तादाद हजारों में पहुंच जाती है, इसलिए अलग-अलग स्थानों पर लंगर चलाने पड़ते हैं। लंगर की पूरी व्यवस्था दरबार की ओर से ही होती है।
दर्शनी गिलाफ का मौका नसीबवालों को
– झंडेजी पर चढ़ाए जाने वाले दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए भक्तों में भारी होड़ रहती है। दर्शनी गिलाफ की पहले से ही बुकिंग होती है। झंडे जी साहिब से मिली जानकारी के अनुसार 2095 तक गिलाफ चढ़ाने वाले परिवार की बुकिंग है। यानी किसी परिवार की कई भावी पीढि़यां ही यह गिलाफ चढ़ा पाती हैं।
अब तक के महंत
महंत औददास (1687-1741)
महंत हरप्रसाद (1741-1766)
महंत हरसेवक (1766-1818)
महंत स्वरूपदास (1818-1842)
महंत प्रीतमदास (1842-1854)
महंत नारायणदास (1854-1885)
महंत प्रयागदास (1885-1896)
महंत लक्ष्मणदास (1896-1945)
महंत इंदिरेशचरण दास (1945-2000)
महंत देवेंद्रदास (25 जून 2000 से गद्दीनसीन)
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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