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बिजनेस

नई जूट नीति जनवरी में

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कोलकाता| केंद्र सरकार अगले साल के शुरू में जूट उद्योग पर एक नई नीति पेश करेगी। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को दी। जूट उपायुक्त और राष्ट्रीय जूट उद्योग (एनजेबी) के सचिव दीपांकर महतो ने कहा, “केंद्र अभी खाका तैयार कर रहा है, जिसे बाद में राज्य सरकार की सलाह से और दुरुस्त किया जाएगा।” एनजेबी और जूट निगम अभी नीति के लिए दिशानिर्देश का मसौदा तैयार कर रहे हैं। नीति को अगले वर्ष जनवरी में मंजूर किया जाएगा।

महतो ने कहा, “हम मशीनों और ऊर्वरकों पर सब्सिडी देने की योजना तैयार कर रहे हैं। इसमें हालांकि राज्यों को सक्रिय भूमिका निभानी है।” जूट उत्पादकों को वित्तीय सहायता देने के बारे में महतो ने कहा, “हम निश्चित रूप से जनवरी के मध्य तक कोई योजना बना लेंगे।” देश से हर साल 1,200 करोड़ रुपये का जूट निर्यात होता है और इससे कर तथा उपकर के जरिए 110 करोड़ रुपये की आय होती है।

जूट के कम उत्पादन और प्लास्टिक की थैलियों पर पाबंदी लगने के बाद जूट की मांग बढ़ने के कारण नई नीति बनाने की जरूरत पैदा हुई है। केंद्र सरकार जूट पैकेजिंग सामग्री कानून का प्रभाव समाप्त करने का संकेत दे चुकी है। महतो ने कहा कि सिर्फ आरक्षण कानून से ही जूट उद्योग को नहीं बचाया जा सकता है। जूट उद्योग को बाजार की ताकत के मुताबिक खुद को ढालना चाहिए और विविधता अपनानी चाहिए।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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