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उत्तराखंड

युग निर्माण योजना एक समग्र कर्मयोग: डॉ पण्ड्या

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युग निर्माण योजना एक समग्र कर्मयोग, गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या, ईश्वरीय योजनाओं में भागीदारी, युग निर्माण योजना-कर्मयोग

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युग निर्माण योजना एक समग्र कर्मयोग, गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या, ईश्वरीय योजनाओं में भागीदारी, युग निर्माण योजना-कर्मयोग

हरिद्वार। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि ईश्वरीय योजनाओं में भागीदारी से बड़े से बड़ा कार्य सहज पूरा हो जाता है। रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द, महर्षि रमण ने जिस ईश्वरीय योजनाओं को किया, उसे ही गायत्री परिवार ‘युग निर्माण योजना-कर्मयोग’ के साथ आगे बढ़ा रहा है। डॉ. पण्ड्या शनिवार को गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में स्वाध्याय संदोह-कर्मफल का सिद्धांत शिविर को सम्बोधित कर रहे थे। शिविर में महाराष्ट्र, उप्र, मप्र, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ सहित अनेक प्रांतों से आये प्रतिभागी शामिल थे। उन्होंने गीता के विभिन्न सूत्रों का जिक्र करते हुए युग निर्माण योजना को एक समग्र कर्मयोग बताया। उन्होंने कहा कि युग निर्माण एक ऐसा कर्म है, जिसमें स्वयंसेवक ईश्वरीय संकल्प के साथ जुड़कर कार्य कर रहे हैं। युगऋषि पं० श्रीराम शर्मा आचार्य की पुस्तक ‘महाकाल और उनकी युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह इस पुस्तक में परिवर्तन की घटनाओं का जिक्र है, उनको आज हम सब घटित होते देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई प्रकार की रुढिवादिता चली आ रही है, कुप्रथाएँ हैं। स्वामी विवेकानंद ने कुछ रुढि़वादिता को समाज के दबाव के वावजूद तोड़ा। इस युग में युगऋषि पं० श्रीराम शर्मा ने कई कुप्रथाओं, रुढिवादिताओं, पुरानी परंपराओं को तोड़ने का अभियान चलाया और इसी अभियान का नाम है युग निर्माण योजना। उन्होंने कहा समाज में व्याप्त कुरीतियों के कारण ही विकास की गति धीमी पड़ रही है। इन्हें तोड़ते हुए वर्तमान समयानुसार नई परंपरा विकसित करने का कार्य गायत्री परिवार कर रहा है। युगऋषि पं० श्रीराम शर्मा आचार्य के सूत्रों को याद करते हुए कहा कि यही नई परंपरा एवं विधा व्यक्ति, समाज व राष्ट्र की उन्नति में सहायक होगी। वर्तमान समय में शादी व अन्य पार्टियों में हो रहे अपव्यय पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जहाँ तक संभव हो ऐसे समारोहों में दिखावटीपन बंद होना चाहिए।  इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने प्रतिभागियों की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

 

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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