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बिजनेस

रिलायंस कैपिटल में सुमितोमो मित्सुई बना अल्पमत हिस्सेदार

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मुंबई| रणनीतिक समझौते के तहत जापान का प्रमुख बैंक सुमितोमो मित्सुई ट्रस्ट बैंक अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल में एक छोटी हिस्सेदारी खरीदेगा और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रिलायंस कैपिटल को वाणिज्यिक बैंकिंग लाइसेंस जारी किए जाने के बाद उसे बैंक स्थापित करने में मदद भी करेगा। यह घोषणा गुरुवार को की गई। कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि जापानी वित्तीय संस्थान रिलायंस कैपिटल में तरजीही आवंटन के जरिए 371 करोड़ रुपये का निवेश कर 2.77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगा। कंपनी ने कहा कि तरजीही आवंटन 530 रुपये प्रति शेयर की दर से किया जाएगा। इस निवेश के साथ एक साल के लॉक-इन अवधि की शर्त जुड़ी हुई है।

इसके अलावा सुमितोमो रिलायंस को वाणिज्यिक बैंक स्थापित करने में भी मदद करेगा। बदले में रिलायंस कैपिटल सुमितोमो के वैश्विक ग्राहकों को परामर्श देगी, खासकर भारत में विलय और निवेश अवसरों के बारे में। समझौते पर हस्ताक्षर होने की घोषणा करते हुए रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने कहा, “हम रिलायंस कैपिटल में रणनीतिक साझेदार के रूप में सुमितोमो मित्सुई ट्रस्ट का तहेदिल से स्वागत करते हैं।” बाजार पूंजीकरण के मामले में जापान का चौथा सबसे बड़ा बैंक होने के साथ ही सुमितोमो मित्सुई समूह जापान का सबसे बड़ा वित्तीय संस्थान भी है और 682 अरब डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन करता है।

जापान की किसी कंपनी के साथ रिलायंस कैपिटल की साझेदारी नई नहीं है। गत महीने के आखिर में रिलायंस ने कहा था कि निप्पॉन लाइफ रिलायंस कैपिटल में अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करना चाहती है। प्रथम किस्त में निप्पॉन नौ फीसदी हिस्सेदारी के लिए 10 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करने वाली थी। निप्पॉन ने 2012 में 24 करोड़ डॉलर निवेश कर रिलायंस कैपिटल में 26 फीसदी हिससेदारी खरीदी थी। इससे कंपनी का बाजार मूल्य 92 करोड़ डॉलर हो गया था।
निप्पोन इसके अलावा रिलायंस लाइफ इश्योरेंस में भी अपनी हिस्सेदारी 26 फिसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करना चाहता है। निप्पोन ने यह भी कहा था कि यह हिस्सेदारी कंपनी तब बढ़ाएगी जब सरकार बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की अधिसूचना जारी कर देगी।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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