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उत्तराखंड

उत्तराखंड: खाली हुई 12 विस सीटों पर उपचुनाव की सम्भावना नहीं

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उत्तराखंड विधानसभा, 12 विस सीटों पर उपचुनाव

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उत्तराखंड विधानसभा, 12 विस सीटों पर उपचुनाव

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सुनील परमार

देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा की 12 सीटें खाली हो चुकी हैं। 3 सीटें पिछले हफ्ते ही खाली हुईं थी, लेकिन 9 सीटों को खाली हुए साढ़े तीन महीने हो चुके हैं। सामान्य तौर पर 6 महीने के भीतर इन सीटों पर उपचुनाव होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि अगर आम चुनाव में एक वर्ष से कम का समय रहता है तो चुनाव कराना जरूरी नहीं है।

राज्य में मौजूदा सरकार में ही अब तक 5 विधानसभा सीटों सितारगंज, धारचूला, डोईवाला, सोमेश्वर और भगवानपुर सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। अब 70 में से एकबार फिर 12 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं। इनमें तीन सीटें तो पिछले हफ्ते ही खाली हुई हैं, लेकिन 9 विधानसभा सीटें 27 मार्च को विधायकों के निष्कासन से ही खाली चल रही है। सामान्य तौर पर विधानसभा की सीट खाली होने पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव होते हैं।

हो सकता है कि आपको इन 12 सीटों को लेकर भी उपचुनाव की आस लगी हो, लेकिन इन सीटों पर उप चुनाव अब नहीं होगा, क्योंकि निर्वाचन मैनूअल की धारा 151-क के अनुसार आम चुनाव होने तक सीट का कार्यकाल एक वर्ष से कम बचता है तो उस सीट पर उपचुनाव कराना जरूरी नहीं है।

सचिव विधानसभा जगदीश चंद्र निर्वाचन मैनूअल का हवाला देते हुए कहते हैं कि आर्टिकल 151 और 151-क के अनुसार किसी भी कारण से खाली हुई विधानसभा सीट पर 6 महीने के भीतर चुनाव कराना जरुरी है, लेकिन यदि आम चुनाव में एक वर्ष से कम का समय हो तो चुनाव कराना जरूरी नहीं होता है।

यद्यपि चुनाव कराने को लेकर सभी फैसले केंद्रीय चुनाव आयोग को करने होते हैं। लेकिन राज्य वर्ष 2017 के शुरुआती महीनों में ही मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है। यानि विधानसभा चुनावों के लिए कुछ महीनों का ही समय बचा है। ऐसे में हालांकि किसी उपचुनाव की संभावना नहीं बनती है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि ये बोर्डर लाईन केस है और चुनाव कराना पैसे की बर्बादी ही होगी। उधर कांग्रेसी भी किसी सीट पर उपचुनाव की जरुरत नहीं बता रहे हैं। मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि कुछ महीनों के लिए उपचुनाव कराना ठीक नही कहा जा सकता है दूसरी तरफ विधायक जीतराम कहते हैं कि उपचुनाव की प्रक्रिया से मौजूदा समय के विकास कार्यों की गति भी प्रभावित होगी।

बहरहाल सबकुछ ठीकठाक रहा तो नंवबर में राज्य में चुनाव को लेकर आचार संहिता लगने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में राज्य की खाली हुई बारह सीटों पर उपचुनाव के हालात बनते नहीं दिख रहे हैं। यानि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही उपचुनाव नहीं बल्कि आम चुनाव की तैयारी में जुट रही हैं।

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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