उत्तराखंड
सीएम ने किया पीएम से बजट में हस्तक्षेप का अनुरोध
देहरादून। उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश के बजट को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उत्तराखंड के बजट के मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने केन्द्र को परोक्ष रूप से मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी भी दे डाली।
सीएम ने अपने पत्र में कहा कि बजट के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट न होने के कारण प्रदेश सरकार के पास न्यायालय की शरण में जाने अथवा विधानसभा में फिर से पारित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। ऐसा करने से संवैधानिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में हरीश रावत ने कहा कि गत 18 मार्च को राज्य विधानसभा में 40422.20 करोड़ का बजट पारित हुआ, जिसे राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेज दिया। इस बीच राष्ट्रपति के अनुमोदन पर उत्तराखंड विनियोग अधिनियम बना और इसके अन्तर्गत उत्तराखंड को 13642.44 करोड़ रुपये दिये गए।
इसकी समय सीमा 31 जुलाई को समाप्त हो रही है। उत्तराखंड को शेष 26779.76 करोड़ रुपये के बजट का अधिकार मिल सके, इसके लिए 27 मई को राज्यपाल को पत्र भेजा गया। इसकी प्रति गृह मंत्रालय को भी भेजी गई, लेकिन 15 जून तक न तो राज्यपाल के निर्देश प्राप्त हुए और न ही केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कोई मार्गदर्शन दिया।
ऐसी स्थिति में दो ही विकल्प बचते हैं, या तो न्यायालय जाकर इस सम्बन्ध में अनुमति प्राप्त की जाए या फिर उत्तराखंड की विधानसभा में फिर से बजट को मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाए।
इन दोनों विकल्पों में संशय यह है कि इससे भारत के संविधान में प्रदत्त केन्द्र एवं राज्यों के सम्बन्ध तथा भारत की संघीय ढांचे की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लग सकते हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे इस प्रकरण में हस्तक्षेप करें ताकि विधानसभा में पारित विनियोग विधियेग को सक्षम स्तर पर अनुमति मिल सके।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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