उत्तराखंड
जहर पीकर महिला ने बच्चों संग की खुदकुशी
कोटद्वार। कोटद्वार के दुगड्डा विकासखंड के घाड़ क्षेत्र की बल्ली ग्राम पंचायत में एक महिला ने अपने तीन बच्चों को दूध में जहर देकर खुद भी जहर पीकर खुदकुशी कर ली है। महिला की गांव में ही मौत हो गई, जबकि सबसे छोटी छह साल की बच्ची ने एंबुलेंस में दम तोड़ दिया। दो बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना से पूरा गांव स्तब्ध है। खुदकुशी की वजह पता नहीं चल सकी है।
सूचना मिलते ही परिजन, मायके पक्ष के लोग गांव पहुंच गए हैं। राजस्व पुलिस ने गांव पहुंचकर महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए कोटद्वार भिजवा दिया है। राजस्व उपनिरीक्षक चित्र सिंह रावत ने बताया कि बल्ली के पोखरी तोक में ध्यान सिंह की पत्नी रेखा देवी (36) अपने तीन बच्चों संग रह रही थी। उसका पति हरिद्वार में प्राइवेट जॉब करता है।
कल दिन में करीब एक बजे रेखा ने अपने तीनों बच्चों सबसे बड़ी बेटी राधिका (12) वर्ष, दूसरे नंबर का बेटा दीपक (11) वर्ष और सबसे छोटी बेटी साक्षी (6) को दूध में जहर मिलाकर पिला दिया। इसके बाद उसने खुद भी जहर गटक लिया। रेखा की घर के अंदर ही मौत हो गई। पड़ोस में रहने वाली एक महिला पशुओं के लिए चारापत्ती लेने जंगल जाने लगी तो उसने रेखा को भी साथ चलने के लिए आवाज दी, लेकिन घर से कोई आवाज नहीं आई।
पड़ोसियों ने रेखा के घर जाकर देखा तो बच्चे उल्टियां कर रहे थे, जबकि रेखा जमीन पर मृत पड़ी थी। आनन-फानन में ग्रामीण तीनों बच्चों को निजी वाहनों से कोटद्वार सरकारी अस्पताल ले आए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद 108 सेवा से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। देहरादून ले जाते वक्त सबसे छोटी सात वर्षीय बेटी साक्षी ने दम तोड़ दिया। आत्महत्या की वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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