प्रादेशिक
जयनारायण नक्सल क्षेत्र में बच्चों को बना रहे इंजीनियर
नवादा (बिहार)| बिहार के नक्सल प्रभावित और जनसंहार के लिए चर्चित गांव का एक युवक तीन दशक पूर्व भले ही अपने इंजीनियर बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया हो, लेकिन वह आज कई युवाओं को उनका सपना पूरा कराकर उन्हें इंजीनियर बना रहा है। बिहार के नवादा जिले के अपसढ़ गांव निवासी जयनारायण पिछले ढाई दशकों से गांव के लड़कों को न केवल शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें इंजीनियर और अन्य ऊंचे पदों तक पहुंचाने में मदद भी कर रहे हैं।
तीन दशक पूर्व जयनारायण राजधानी पटना में इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे थे। शुरुआती प्रयासों में वह इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा नहीं पास कर सके। इसके बाद इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा निर्धारित कर दी गई। लिहाजा, वह वंचित हो गए। इसके बाद जयनारायण गांव लौट आए।
इस दौरान उन्होंने स्नातकोत्तर (एमएससी) की पढ़ाई की, लेकिन उन्हें इंजीनियर नहीं बनने का मलाल रहा। जयनारायण आईएएनएस से कहते हैं, “उस समय ही मैंने संकल्प लिया कि मैं भले ही इंजीनियर बनने के खुद का सपने को पूरा नहीं कर पाया लेकिन इंजीनियर तैयार जरूर करूंगा।”
आज जयनारायण का यही संकल्प गांव के बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन गई है। जयनारायण कहते हैं, “पिछले दो दशक के अंतराल में मेरे करीब 50 छात्र देश के विभिन्न क्षेत्रों में अहम पदों पर नौकरी कर रहे हैं। इनमें करीब दो दर्जन इंजीनियर हैं। मेरे छात्र कर्नल, बैंक मैनेजर, सर्वोच्च न्यायालय के वकील और सब इंस्पेक्टर जैसे कई अहम पदों पर पहुंचकर देश की सेवा कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में भी उनके दो छात्र रामायण कुमार और आर्यवीर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा पास की है। उनका एक बेटा भी इंजीनियरिंग की परीक्षा पास कर कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा है।
जयनारायण बताते हैं कि जब वह गांव लौटकर आए तब बहुत दिनों तक निराश रहे। निराशा के बीच वितरहित एक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी की, लेकिन मन में इंजीनियर नहीं बनने का मलाल सताता रहा। यही परिवार के लोगों को भी उम्मीद थी।
वे बताते हैं, “इसी दौरान मैंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। शुरू में बच्चे भी नहीं जुड़ते थे। उनके अभिभावकों से संपर्क किया तब बच्चे आने लगे। इसी दौरान छात्र प्रेमशंकर की नियुक्ति कर्नल के रूप में हो गई तब गांववालों का भरोसा मेरे उपर बढ़ गया। उसके बाद का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अब थमने का नाम नहीं ले रहा है।”
उन्होंने बताया कि जब इस गांव की पहचान नक्सलियों और जनसंहार के रूप में होती थी, तब भी उन्होंने बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा। उल्लेखनीय है कि वारिसलीगंज के असपढ़ गांव की पहचान जनसंहार वाले गांव के रूप में की जाती है। वर्ष 2000 में यहां 11 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी।
एक किसान आनंदी सिंह के घर जन्मे जयनारायण पहली क्लास से 12 वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। वर्तमान समय में वह 100 बच्चों को नियमित पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि वह कोर्स की किताबों को नहीं पढ़ाते। इन्होंने अपना कोर्स तैयार किया है। इसमें हर परीक्षा बोर्ड से संबंधित विषय शामिल होते हैं। उन्होंने क्लास नहीं बल्कि चैप्टर (पाठ) को बांटकर रखा है।
उन्होंने बताया कि जो बच्चे पहले पाठ पूरा कर देते हैं वह दूसरा चैप्टर सीनियर से सीखते हैं। जबकि जूनियर को पहले चैप्टर के बारे में बताते हैं। जहां परेशानी होती है उसमें शिक्षक से सहयोग लेते हैं।
ग्रामीण भी जयनारायण के इस प्रयास से खुश हैं। असपढ़ गांव निवासी शिवलोचन कहते हैं कि भगवान जो भी करते हैं वह ठीक ही करते हैं। गांव का जयनारायण अगर इंजीनियर बन जाता तो सिर्फ गांव का एक बच्चा इंजीनियर कहलाता, मगर आज जयनारायण गांव के कई बच्चों को ऊंचे पदों पर पहुंचा रहे हैं।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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