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उत्तराखंड

टिहरी झील में पर्यटकों हेतु रात्रि विश्राम की योजना

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टिहरी झील, साहसिक खेल की गतिविधियां, इको फ्रैंडली लॉग हट्स, रात्रि विश्राम की योजना

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नई टिहरी। टिहरी झील में साहसिक खेल की गतिविधियां इन दिनों काफी बढ़ गई हैं। पर्यटन विभाग ने बांध की झील का दीदार और नौकायन को आने वाले सैलानियों की सुविधा और रात्रि विश्राम के लिए प्रस्तावित फ्लोटिंग और इको फ्रेंडली लॉग हट्स योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। सितंबर से पर्यटकों को हट्स में ठहरने की सुविधा मिलेगी।

टिहरी बांध की झील में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने नौकायन गतिविधियों के बाद सैलानियों के ठहरने के लिए हट्स कांसेप्ट योजना पर भी कार्य शुरू कर दिया है।

योजना के मुताबिक कोटीकालोनी में झील के किनारे निर्माण निगम मुंबई की वेस्ट कोस्ट मरीन के सहयोग से पांच करोड़ की लागत से 10 फ्लोटिंग हट्स तैयार करवा रहा है। सितंबर से सैलानी झील में लगी इन हट्स में रहने का लुत्फ उठा सकेंगे।

इसके अलावा विभाग पर्यटकों के लिए झील के किनारे अलग से सात इको फ्रैंडली लॉग हट्स भी बनाएगा। देश-विदेश से यहां टिहरी झील में साहसिक खेल की गतिविधियों में शामिल होने के लिए आने वाले सैलानी इनमें ठहरने का लुत्फ उठा सकेंगे।

जिला पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने बताया कि फ्लोटिंग और इको फ्रैंडली हट्स का निर्माण तेजी से चल रहा है। सितंबर तक सभी को टिहरी झील किनारे स्थापित कर दिया जाएगा। यह योजना पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए है।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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