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उपलब्धियों से भरा रहा विदेश संबंध
नई दिल्ली| भारत का विदेश संबंध साल 2014 में उपलब्धिपूर्ण रहा। मई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सक्रिय विदेश नीति को आगे बढ़ाया और कई देशों के साथ समझौतों को अंजाम दिया। खासकर अमेरिका, चीन तथा रूस के साथ रिश्तों को नया आयाम मिला।
यह साल अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनावों की सुगबुगाहट से शुरू हुआ। इस दौरान विदेश नीति सहित सभी चीजों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे। एक दशक से शासन कर रही कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के भविष्य पर भी अनिश्चितता बनी हुई थी।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात को लेकर उत्सुक था और इंतजार कर रहा था कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के क्या परिणाम आते हैं।
साल 2014 की भारत-अमेरिका संबंधों की शुरुआत देवयानी खोबरागड़े मामले को लेकर कड़वाहट से हुई। न्यूयॉर्क में गिरफ्तारी तथा कपड़े उतरवा कर ली गई तलाशी के मामले ने 2014 के शुरुआत में काफी सुर्खियां बटोरी।
इस मामले के बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद व अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमी बर्फ को तोड़ने के लिए सक्रिय प्रयास किया। इसके बाद अमेरिका ने अपने राजदूत नैंसी पॉवेल को वापस बुला लिया, क्योंकि वह मोदी सरकार के साथ दोस्ताना रवैया नहीं अपना रही थीं।
नई सरकार ने अपनी विदेश नीति की शुरुआत शपथ ग्रहण के मौके पर दक्षेस के आठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाकर किया। इससे मोदी को अपने पड़ोसी देशों से रूबरू होने तथा उनके प्रति नई सरकार के रवैये को सुनिश्चित करने में मदद मिली।
हालांकि, सीमा पार से लगातार हो रहे संघर्ष विराम के कारण पाकिस्तान के साथ रिश्ते तल्ख ही बने रहे। इसी दौरान, भारत ने उसके साथ विदेश सचिव स्तरीय वार्ता भी रद्द कर दी।
पाकिस्तान के पेशावर में पिछले दिनों एक सैनिक स्कूल पर हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद पड़ोसी देशों के बीच आतंकवाद को लेकर चिंता की भावना उत्पन्न हुई। इससे दोनों देशों को साथ आने तथा आतंकवाद पर एक साथ चिंता जताने का मौका मिला।
अपने छह महीने से कुछ अधिक समय के कार्यकाल के दौरान मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित संयुक्त राष्ट्र के सभी पांच स्थायी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री ने अपनी द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत भूटान दौरे से शुरू की। इसके बाद उन्होंने नेपाल, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, अमेरिका, ब्राजील की यात्रा की एवं द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लिया।
मोदी ऑस्ट्रेलिया, नेपाल तथा फिजी की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय नेता बने।
तीन-चौथाई बहुमत पाकर सत्ता में आनेवाले भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की छवि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बेहद प्रभावशाली तथा कठोर नीतिगत फैसले लेने वाले सरकार के रूप में बनी।
प्रारंभ में हिंदी, लेकिन बाद में कूटनीतिक सम्मेलनों के दौरान अंग्रेजी में संबोधन करने वाले मोदी ने भारत में विदेशियों को व्यापार करने में सहूलियत, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान तथा 100 स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत आगमन मोदी सरकार के कूटनीतिक मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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